Pitru Paksha Ekadashi shradh Vidhi: पितृ पक्ष 10 सितंबर से चल रहा है, जिसका समापन 25 सितंबर को होगा. पितृ पक्ष के 11वें दिन एकादशी का श्राद्ध किया जाता है. इस बार पितृ पक्ष की एकादशी का श्राद्ध 21 सितंबर को यानी आज किया जा रहा है. आज आश्विन मास की एकादशी यानी इंदिरा एकादशी का भी खास संयोग बन रहा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी का श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है. जो लोग पितृ पक्ष में पतिरों के निमित्त पार्वण, तर्पण और श्राद्ध नहीं कर पाए हैं, वे इस दिन श्राद्ध कर्म कर सकते हैं. आइए जानते हैं एकादशी श्राद्ध के लिए शुभ मुहूर्त, और श्राद्ध की विधि.
एकादशी श्राद्ध 2022 तिथि | Ekadashi Shradh 2022 Date
पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष का एकादशी श्राद्ध 21 सितंबर को यानी आज है. एकादशी तिथि की शुरुआत 20 सितंबर को रात 9 बजकर 26 मिनट से हो रही है. वहीं एकादशी तिथि का समापन 21 अगस्त, 2022 को रात 11 बजकर 34 मिनट पर हो रहा है.
एकादशी श्राद्ध 2022 और शुभ मुहूर्त | Ekadashi Shradh 2022 Shubh Muhurat
पितृ पक्ष में पार्वण श्राद्ध किए जाते हैं. श्राद्ध कर्म करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ माने गए हैं. ऐसे में इस दिन कुतुप मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक है. वहीं रौहिण मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से 1 बजकर 27 मिनट तक है. इसके अलावा अगर इन दो मुहूर्तों में श्राद्ध कार्य संपन्न ना हो पाए तो अपराह्न काल का शुभ मुहूर्त दोपह 1 बजकर 27 मिनट से लेकर 3 बजकर 53 मिनट तक है.
किसके लिए किया जाता है एकादशी श्रााद्ध
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी श्राद्ध परिवार के उन मृतक सदस्यों के निमित्त किया जाता है, जिनकी मृत्यु एकादशी तिथि पर हुई हो. इस दिन शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की एकादशी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है.
एकादशी श्राद्ध का महत्व | Ekadashi Shradh Importance
पितृ पक्ष की एकादशी के दिन फल्गु नदी में स्नान के पश्चात् तर्पण किया जाता है. इसके साथ ही वहां मौजूद विष्णुपद मंदिर के सामने करसिल्ली पहाड़ी पर स्थित मुंड पृष्ठा, आदि गया और धौत पद पर पिंडदान करना बेहद फलदायी होता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन यदि श्राद्धकर्ता एकादशी का व्रत करने के साथ पितरों को खोआ का पिंडा बना कर दान करता है, उसके पितरों के मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही साथ श्राद्ध करने वाले को पुण्य लाभ मिलता है. मान्यतानुसार, अगर एकादशी का व्रत ना कर सकें तो कम से कम पितरों के श्राद्ध के बाद दान-पुण्य जरूर कर लेना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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