Dussehra 2025:  दशहरे के 10 बड़े ज्योतिष उपाय, जिसे करते ही सोने जैसी चमकेगी किस्मत, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

Dussehra ke jyotish upay: सनातन परंपरा में दशहरे का महापर्व भगवान श्रीराम की विजय का उत्सव मनाने का दिन होता है. इस दिन प्रभु श्री राम के साथ विजय दिलाने वाली अपराजिता देवी की विशेष साधना की जाती है. आज पूजा के किस उपाय को करने से कष्टों से मुक्ति और कामनाएं पूरी होती हैं, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख. 

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Dussehra 2025: दशहरे के 10 बड़े ज्योतिष उपाय 
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Dussehra 2025 Best astro remedies for Success and prosperity: भारतीय संस्कृति में दशहरा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह धर्म की अधर्म पर, सत्य की असत्य पर और प्रकाश की अंधकार पर विजय का प्रतीक है. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाने वाला यह दिन श्रीराम द्वारा रावण पर विजय प्राप्त करने का दिवस है. इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया था. अतः दशहरा हमारे जीवन में शक्ति, साहस, विजय और नवशक्ति के संचार का उत्सव है.

ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन विजय मुहूर्त से युक्त होता है, जब ग्रहों की ऊर्जा अत्यंत अनुकूल होती है. दशहरे के दिन किन उपायों को करने से जीवन की रुकावटें दूर होकर व्यक्ति को सुख, सफलता, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है, उसके बारे में विस्तार से बता रही हैं जानी-मानी ज्योतिषाचार्य डॉ. नीती एस. शर्मा.

दशहरे के 10 महाउपाय – दूर होंगे संकट और भाग्य होगा प्रबल

1. शत्रु और बाधाओं से मुक्ति के लिए – ‘शमी पूजा और तिलक' करें

दशहरे के दिन शमी वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि पांडवों ने अज्ञातवास से पहले अपना दिव्य शस्त्र शमी वृक्ष के पास ही छिपाया था और उसी दिन उसे लेकर विजय प्राप्त की.
उपाय: शमी वृक्ष को जल, हल्दी, सिंदूर और फूल अर्पित कर “ॐ शं शमाय नमः” मंत्र का 108 बार जप करें. शत्रु, कोर्ट केस और बाधाएं दूर होंगी.

2. ऋण और आर्थिक संकट से मुक्ति के लिए – ‘रावण दहन के समय विशेष मंत्र'

जब रावण का दहन हो, उस समय “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का 108 बार जप करें. यह उपाय नकारात्मक ऊर्जा को जलाकर धनागमन के द्वार खोलता है.

3. करियर और सफलता के लिए – ‘शस्त्र पूजा' करें

दशहरा को आयुध पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है. अपने कार्य उपकरण, पेन, कंप्यूटर या व्यवसायिक साधनों को गंगाजल से शुद्ध कर केसर और चंदन का तिलक लगाएं. यह उपाय करियर और बिज़नेस में विजय दिलाता है.

4. संतान और कुल कल्याण हेतु – ‘सीता-राम नाम जप' करें

श्रीराम और माता सीता के नामों का जप इस दिन अत्यंत फलदायी होता है.
“सीता राम सीता राम जय जय राम” का 108 बार जप करने से परिवार में शांति, संतान सुख और घर में लक्ष्मी का आगमन होता है.

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5. ग्रह दोष शांति के लिए – ‘दुर्गा सप्तशती का पाठ'

दशहरा देवी दुर्गा की विजय का भी प्रतीक है. इस दिन दुर्गा सप्तशती के किसी भी एक अध्याय का पाठ करने से ग्रहों के दुष्प्रभाव समाप्त होते हैं. विशेष रूप से शनि, राहु और केतु दोष कम होते हैं.

6. घर से नकारात्मकता दूर करने हेतु – ‘गुग्गुल धूप हवन' करें

संध्या समय घर में गुग्गुल और गाय के घी से धूप या लघु हवन करें. इससे घर से भूत-प्रेत, नज़र और टोटके का प्रभाव समाप्त होता है और सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है.

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7. अटके कार्यों को गति देने हेतु – ‘विजय तिलक' लगाएं

दशहरा के दिन केसर, हल्दी और चंदन को मिलाकर “विजय तिलक” बनाएं और मस्तक पर लगाएं. यह उपाय ग्रहों की शुभता को बढ़ाकर रुके हुए कार्यों को गति देता है.

Photo Credit: PTI

8. जीवन में सम्मान और पद वृद्धि के लिए – ‘पीपल पर दीपदान' करें

शाम के समय पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाएं और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जप करें. यह उपाय सरकारी कार्य, प्रमोशन और मान-सम्मान के लिए अत्यंत प्रभावी है.

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9. वैवाहिक जीवन में मधुरता हेतु – ‘राम-सीता प्रतीक पूजा' करें

दशहरा के दिन एक साथ श्रीराम और सीता की पूजा करें. यदि विवाह में समस्या है तो इस दिन राम-सीता की तस्वीर के सामने मिलकर संकल्प लें और मंत्र जप करें –
“ॐ श्री सीता रामाभ्यां नमः”.
यह उपाय वैवाहिक जीवन में प्रेम और स्थिरता लाता है.

10. नए कार्यारंभ और भाग्योदय के लिए – ‘विजय मुहूर्त में संकल्प' लें

दशहरे के दिन विजय मुहूर्त (प्रातः 10:30 से दोपहर 12:00 के बीच) में किसी नए कार्य, व्यापार, भूमि क्रय या योजना का संकल्प लेना अत्यंत शुभ फल देता है. यह कार्य दीर्घकाल तक सफलता प्रदान करता है.

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निष्कर्ष : दशहरा – न केवल पर्व, बल्कि भाग्य परिवर्तन का अवसर

दशहरा केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि यह हमें यह सिखाता है कि हर रावण का अंत संभव है, चाहे वह हमारे भीतर का क्रोध, लोभ, भय या असफलता ही क्यों न हो. इस दिन किए गए उपाय हमारे जीवन के अंधकार को जलाकर नये प्रकाश और अवसरों के द्वार खोलते हैं.

इस दशहरे पर केवल रावण के पुतले को ही न जलाएं, बल्कि अपने भीतर की नकारात्मकताओं को भी समाप्त करें. ऐसा करने से जीवन में न केवल विजय प्राप्त होगी, बल्कि समृद्धि, सुख और शांति भी स्थायी रूप से आएगी.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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