When in Diwali in 2023: दिवाली को हिंदू धर्म के बड़े पर्वों को लिस्ट में रखा गया है. दिवाली आने के कुछ दिन पहले ही इसके लिए लोगों में उत्साह दिखना शुरू हो जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2023 में दिवाली का त्योहार नवंबर महीने में मनाया जाएगा. इसके साथ ही 2022 की तरह अगले साल भी दिवाली मनाने की सही तारीख को लेकर अस्मंजल की स्थिति बनी हुई है. साल 2022 में सूर्य ग्रहण के कारण मामला पेंचदा हो गया था. अब अगले साल भी दिवाली को लेकर ऐसी स्थिति बन सकती है. आइए जानते हैं साल 2023 में दिवली की सही तिथि और मुहूर्त क्या है.
2023 में इस दिन मानाई जाएगी दीवाली | Diwali will be celebrated on this day in 2023
कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाने वाला दिवाली का त्योहार साल 2023 में 12 नवंबर 2023, रविवार को मनाया जाएगा. कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 12 नवंबर 2023 की दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 13 नवंबर सोमवार की दोपहर 2 बजकर 56 मिनट तक रहेगी. वैसे तो उदयातिथि के अनुसार पर्व मनाया जाता है लेकिन लक्ष्मी पूजा रात में प्रदोषकाल में करना शुभ होता है इसलिए दिवाली 12 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी.
दिवाली 2023 पर पूजा शुभ मुहूर्त | Puja Shubh Muhurat on Diwali 2023
दिवाली 12 नवंबर 2023 की रात को मनाई जाएगी. इस दौरान लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 12 नवंबर की शाम 5:40 मिनट से लेकर 7:36 मिनट तक करीब 1 घंटे 55 मिनट का रहेगा. वहीं प्रदोष काल शाम 5:29 बजे से 8:07 बजे तक रहेगा. लक्ष्मी पूजा के लिए महानिशीथ काल मुहूर्त रात 11:39 बजे से मध्यरात्रि 12:31 बजे तक करीब 52 मिनट का रहेगा. दीपावली पर लक्ष्मी पूजा के लिए सिंह काल मध्यरात्रि 12:12 बजे से 2:30 बजे तक करीब सवा 2 घंटे का रहेगा.
दिवाली का ज्योतिषीय महत्व | Astrological Significance of Diwali
हिंदू धर्म में हर त्योहार का ज्योतिषीय महत्व भी है. मन्यता है कि विभिन्न पर्व और त्योहारों पर ग्रहों की दिशा और विशेष योग मानव समुदाय के लिए शुभ फलदायी होते हैं. हिंदू समाज में दिवाली का समय किसी भी कार्य के शुभारंभ और किसी वस्तु की खरीदी के लिए बेहद शुभ माना जाता है. इस विचार के पीछे ज्योतिष महत्व है. दरअसल दीपावली के आसपास सूर्य और चंद्रमा तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में स्थित होते हैं. वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य और चंद्रमा की यह स्थिति शुभ और उत्तम फल देने वाली होती है. तुला एक संतुलित भाव रखने वाली राशि है. यह राशि न्याय का प्रतिनिधित्व करती है. तुला राशि के स्वामी शुक्र जो कि स्वयं सौहार्द्र भाईचारे, आपसी सद्भाव और सम्मान के कारक हैं. इन गुणों की वजह से सूर्य और चंद्रमा दोनों का तुला राशि में स्थित होना एक सुखद और शुभ संयोग होता है. दीवाली का आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों रूप से विशेष महत्व है. हिंदू दर्शन शास्त्र में दीवाली को आध्यात्मिक अंधकार पर आंतरिक प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई का उत्सव कहा गया है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)