Bhajan And Kirtan : पूजा पाठ करते हुए या भगवान के सामने बैठकर गीतों के जरिए उनकी आराधना करते हुए हम यही कहते हैं कि भजन कीर्तन चल रहा है. ऐसा कहते हुए ये किसी ने नहीं सोचा कि भजन क्या है और कीर्तन क्या है. ये दोनों एक ही हैं या अलग अलग हैं. बरसों से ये दोनों शब्द एक साथ सुने और कहे जाते हैं. वैसे तो मान्यता ये है कि भक्तों के श्रद्धाभाव को भगवान हमेशा ही प्रसन्न होकर ग्रहण करते हैं पर ये जान लेना जरूरी है कि भजन और कीर्तन में क्या अंतर है. दोनों को एक ही तरह से भगवान के दरबार में प्रस्तुत किया जाता है उसके बाद भी दोनों के भाव अलग अलग क्यों हैं.
क्या है भजन और कीर्तन में अंतर | difference between bhajan and kirtan
भजन और कीर्तन में बहुत फर्क है. भजन में भक्त भगवान का नाम का जाप करता है, जो गीतों में या काव्यात्मक रूप से पिरोए जाते हैं और फिर गाए जाते हैं. लेकिन कीर्तन में ऐसा नहीं होता. जब आप ईश्वर से जुड़े मंत्रों का जाप करते हैं तब वो कीर्तन होता है. ये भी माना जाता है कि भजन गाना सामान्य है लेकिन कीर्तन का प्रभाव अद्भुत होता है. माना जाता है कि एक मूल अंतर दोनों के पाठ में है भजन गीत की तरह गाया जाता है जबकि कीर्तन में किसी मंत्र विशेष का उच्चारण होता है.
भजन और कीर्तन की महिमा
ये मान्यता है कि कीर्तन ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ किया जाता है. लोग जितने ज्यादा होंगे कीर्तन उतना ही प्रभावशाली होगा. नृत्य करते हुए कीर्तन करने से कई तरह के रोग ठीक होने की भी मान्यता है. पौराणिक कथाओं के आधार पर माना जाता है कि शिवजी और मां पार्वती ने नृत्य करते हुए कीर्तन करने की शुरुआत की थी. माना जाता है कि जहां कीर्तन होता है वहां साक्षात भगवान का वास माना जाता है. ऐसा भी माना जाता है कि नियमित रूप से कीर्तन करने से घर की नेगेटिविटी भी दूर होती है.
ऐसे मिलेगा मानसिक और आत्मिक लाभ
रोज जब आप पूजा करना शुरू करें उससे पहले कीर्तन जरूर करें. कीर्तन करने के लिए दोनों हाथों को सीधे ऊपर की तरफ उठाया जाता है. हाथ सीधे ऊपर रखे रखे ही मंत्रों का जाप करते हैं. कीर्तन पूरा होने के बाद ही पूजा शुरू करें. कीर्तन को थोड़ा गाते हुए करें. जबकि भजन कभी भी कैसे भी किए जा सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)