Dhanteras 2023: धनतेरस के दिन ही है शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ संयोग, जान लीजिए शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि और धन लाभ के खास उपाय

जब भी बात प्रदोष व्रत की होती है तब प्रदोष काल के पूजन का भी बड़ा महत्व माना जाता है. यही वजह है कि धनतेरस के साथ साथ प्रदोष का व्रत भी रखा जाएगा.

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शाम 5 बजकर 30 मिनट से रात के 8 बजकर 8 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा.

Dhanteras Pradosh Vrat 2023: हर साल कार्तिक मास (Kartik Maas) के समय आने वाला प्रदोष का व्रत बहुत खास होता है. इस साल का ये व्रत दो मायनों में खास है. इस बार धनतेरस और शुक्रवार भी साथ है और प्रदोष का व्रत भी है. इस साल धनतेरस की तिथि (Dhanteras 2023 Tithi) 10 नवंबर 2023 को पड़ रही है जिसका शुभ समय शुरु होगा दोपहर 12 बजकर 35 से और जारी रहेगा 11 नवंबर 2023 को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट तक. जब भी बात प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2023) की होती है तब प्रदोष काल के पूजन का भी बड़ा महत्व माना जाता है. यही वजह है कि धनतेरस के साथ साथ प्रदोष का व्रत भी रखा जाएगा. शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurt) की बात करें तो इसी दिन शाम 5 बजकर 30 मिनट से रात के 8 बजकर 8 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा.

कब है धनतेरस और प्रदोष व्रत? (Dhanteras 2023 Date And Pradosh Vrat)

धनतेरस की तिथि हो या शुक्रवार का दिन हो दोनों ही माता लक्ष्मी को समर्पित माना जाते हैं. इस दिन माता लक्ष्मी का पूजन बहुत शुभ माना जाता है. ये व्रत सभी को सुख, समृद्धि देता है साथ ही महिलाओं के सौभाग्य में वृद्धि करता है, जिसके पूजन धन की कमी दूर हो जाती है. एक धार्मिक मान्यता इस प्रकार भी है कि इस दिन पूजन करने वालों पर भगवान शिव की कृपा बरसती है जो भक्तों के कष्ट हर लेते हैं. 10 नवंबर को धनतेरस और शुक्रवार के दिन रखा जाने वाला व्रत कार्तिक माह का पहला प्रदोष व्रत होगा.

पूजन का मुहूर्त (Pradosh Vrat Puja Muhurat)

धनतेरस के दिन प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त शाम 05.40 से रात के 08.08 मिनट तक रहेगा. इसी दिन आप वाहन खरीदी करना चाहते हैं तो शाम 05.05 बजे से शाम 06.41 तक खरीदारी का समय श्रेष्ठ है. धनतेरस के पूजन के लिए आप 05.47 से शाम 07.43 तक पूजन करें ये मुहूर्त शुभ है.

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प्रदोष व्रत और धनतेरस की पूजन विधि

प्रदोष व्रत के लिए पूजन करना चाहते हैं तो सुबह से तैयारी करें. सबसे पहले स्नान और स्वच्छ कपड़े पहन कर तैयार हो जाएं. इसके बाद अपने पूजा स्थल या मंदिर की सफाई करें और भगवान शिव का पूजन कर दीप जला दें. दिन भर व्रत रख भगवान शिव का स्मरण करें और शाम को जलाभिषेक करें. भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा और आक के फूल अर्पित करना शुभ होगा.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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