Dhanteras 2025 bhagwan dhanvantari ki puja kaise kare: धनतेरस के जिस पर्व से दीपावली के पंचमहापर्व प्रारंभ होता है, वह सिर्फ खरीददारी या फिर माता लक्ष्मी (Goddess Laxmi) या कुबेर देवता (Kuber Devta) भर से नहीं जुड़ा हुआ है, बल्कि यह जीवन का सबसे बड़ा धन यानि अच्छी सेहत और आरोग्य का वरदान दिलाने वाले भगवान धन्वंतरि की पूजा से जुड़ा हुआ है. हिंदू मान्यता के अनुसार धनतेरस के दिन ही समुद्रमंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ था. मान्यता है कि कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही लोक कल्याण के लिए भगवान धन्वंतरि अपने हाथ में अमृत (Amrit Kalash) भरा हुआ कलश लेकर प्रकट हुए थे. आइए जानते हैं कि सौभाग्य के साथ आरोग्य का वरदान देने वाले भगवान धन्वंतरि की पूजा कब और कैसे की जाती है.
भगवान धन्वंतरि की पूजा का मुहूर्त (Dhanvantari Bhagwan ki puja ka muhurat)
पंचांग के अनुसार आज 18 अक्टूबर 2025, शनिवार यानि कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त सायंकाल 07:16 से लेकर 08:20 बजे तक रहेगा. इस तरह आज भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिए लगभग एक घंटे का शुभ समय रहेगा.
भगवान धन्वतंरि का स्तोत्र | Dhanvantari Bhagwan Ka Stotra
ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः.
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम.
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम॥
भगवान धन्वंतरि का मंत्र : Dhanvantari Bhagwan Ka Mantra
ॐ नमो भगवते महासुर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतरये अमृतकलशहस्ताय सर्वभय-विनाशाय सर्वरोग-निवारणाय त्रिलोकपतये त्रिलोकनाथाय श्रीमहाविष्णुस्वरूप श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री औषणचक्र नारायणाय नमः.
यदि आप इस मंत्र को ठीक से न पढ़ पाएं तो भगवान धन्वंतरि के इस सरल मंत्र ‘ॐ धन्वंतरये नमः' का अधिक से अधिक जप करें. श्रद्धापूर्वक इसका जप करने से आपको आरोग्य और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होगा.
भगवान धन्वंतरि जी की आरती | Bhagwan Dhanvantari Ji Ki Aarti
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा.
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा..
जय धन्वंतरि देवा...
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए.
देवासुर के संकट आकर दूर किए..
जय धन्वंतरि देवा...
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया.
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया..
जय धन्वंतरि देवा...
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी.
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी..
जय धन्वंतरि देवा...
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे.
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे..
जय धन्वंतरि देवा...
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा.
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा..
जय धन्वंतरि देवा...
धन्वंतरि जी की आरती जो कोई नर गावे.
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे..
जय धन्वंतरि देवा...
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)