Dhanteras 2020: कब है धनतेरस, जानें शुभ मुहुर्त, पूजा विधि और महत्व ?

Dhanteras 2020: धनतेरस (Dhanteras) पांच दिन तक चलने वाले दीपावली पर्व का पहला दिन है. इसे धनत्रयोदशी, धन्‍वंतरि त्रियोदशी या धन्‍वंतरि जयंती भी कहा जाता है.

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Dhanteras 2020: कब है धनतेरस, जानें शुभ मुहुर्त, पूजा विधि और महत्व ?

Dhanteras 2020: धनतेरस (Dhanteras) पांच दिन तक चलने वाले दीपावली (Deepawali) पर्व का पहला दिन है. इसे धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi), धन्‍वंतरि त्रियोदशी (Dhanwantari Triodasi) या धन्‍वंतरि जयंती (Dhanvantri Jayanti) भी कहा जाता है. मान्‍यता है कि क्षीर सागर के मंथन के दौरान धनतेरस के दिन ही माता लक्ष्‍मी (Maa Laxmi) और भगवान कुबेर (Kuber) प्रकट हुए थे. यह भी कहा जाता है कि इसी दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्‍वंतरि का जन्‍म हुआ था. यही वजह है कि इस दिन माता लक्ष्‍मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्‍वंतरि की पूजा का विधान है. भगवान धन्‍वंतरि के जन्‍मदिन को भारत सरकार का आयुर्वेद मंत्रालय 'राष्‍ट्रीय आयुर्वेद दिवस' (National Ayurveda Day) के नाम से मनाता है. इसके अलावा धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा (Yama Puja) भी की जाती है. इस दिन सोने-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. धनतेरस दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक भी है. इसके बाद छोटी दीपावली या नरक चौदस (Chhoti Diwali or Narak Chaturdashi), बड़ी या मुख्‍य दीपावली (Diwali), गोवर्द्धन पूजा (Govardhan Puja) और अंत में भाई दूज या भैया दूज (Bhai Dooj) का त्‍योहार मनाया जाता है. 

धनतेरस (Dhanteras) कब है ?
धनतेरस का पर्व हर साल दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है. हिन्‍दू कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक मास की तेरस यानी कि 13वें दिन धनतेरस मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह पर्व हर साल अक्‍टूबर या नवंबर महीने में आता है. इस बार धनतेरस 13 नवंबर को है. इसके अलावा इस बार धनतेरस दीवाली के एक दिन पहले ही मनाया जा रहा है.

धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 12 नवंबर 2020 को रात 09 बजकर 30 मिनट से 
त्रयोदशी तिथि समाप्‍त: 13 नवंबर 2020 को शाम 05 बजकर 59 मिनट तक
धनतेरस पूजा मुहूर्त: 13 नवंबर 2020 को शाम 05 बजकर 28 मिनट से शाम 05 बजकर 59 मिनट तक.
कुल अवधि: 30 मिनट
प्रदोष काल: 13 नवंबर 2020 को शाम 05 बजकर 28 मिनट से रात 08 बजकर 07 मिनट तक.
वृषभ काल: 13 नवंबर 2020 को शाम 05 बजकर 32 मिनट से रात 07 बजकर 28 मिनट तक.

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धनतेरस की पूजा विधि 
धनतेरस के दिन भगवान धन्‍वंतरि, मां लक्ष्‍मी, भगवान कुबेर और यमराज की पूजा का विधान है. 
- धनतेरस के दिन आरोग्‍य के देवता और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्‍वंतरि की पूजा की जाती है. मान्‍यता है कि इस दिन धन्‍वंतरि की पूजा करने से आरोग्‍य और दीर्घायु प्राप्‍त होती है. इस दिन भगवान धन्‍वंतरि की प्रतिमा को धूप और दीपक दिखाएं. साथ ही फूल अर्पित कर सच्‍चे मन से पूजा करें. 
- धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है. इस दिन संध्‍या के समय घर के मुख्‍य दरवाजे के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिट्टी का बड़ा दीपक रखकर उसे जलाएं. दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए. दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करें: 
मृत्‍युना दंडपाशाभ्‍यां कालेन श्‍याम्‍या सह|
त्रयोदश्‍यां दीप दानात सूर्यज प्रीयतां मम ||
- धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है. मान्‍यता है कि उनकी पूजा करने से व्‍यक्ति को जीवन के हर भौतिक सुख की प्राप्‍ति होती है. इस दिन भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो धूप-दीपक दिखाकर पुष्‍प अर्पित करें. फिर दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर सच्‍चे मन से इस मंत्र का उच्‍चारण करें: 
ॐ  श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्‍लीं श्रीं क्‍लीं वित्तेश्वराय नम: 
- धनतेरस के दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा का विधान है. इस दिन मां लक्ष्‍मी के छोटे-छोट पद चिन्‍हों को पूरे घर में स्‍थापित करना शुभ माना जाता है. 

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