Dev Deepawali 2025: हिंदू धर्म में किसी भी मास में पड़ने वाली पूर्णिमा भगवान श्री विष्णु और चंद्र देवता की पूजा के लिए समर्पित मानी जाती है, लेकिन कार्तिक मास में पड़ने वाली पूर्णिमा पर शिव की साधना भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि इसी दिन देवों के देव महादेव ने त्रिपुरासुर नाम दैत्य का वध करके देवताओं को अभय प्रदान किया था. जिसके बाद देवताओं ने दीये जलाकर इसकी खुशी मनाई थी. इसी प्रसंग के चलते इस पूर्णिमा को देव दिवाली या फिर त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. सप्तपुरियों में से एक काशी नगरी में मनाई जाने वाली देव दिवाली के बारे में आइए विस्तार से जानते हैं.
कब मनाई जाएगी देव दिवाली
पंचांग के अनुसार देव दिवाली का पावन पर्व इस साल 05 नवंबर, 2025, बुधवार के दिन मनाया जाएगा और इस दिन इस पूजा का सबसे उत्तम मुहूर्त यानि प्रदोष काल सायंकाल 05:15 से प्रारंभ होकर 07:50 बजे तक रहेगा. यह समय पूजन और दीपदान दोनों के लिए अत्यंत ही शुभ रहेगा.
जब दीपमालाओं से जगमगा उठता है गंगा तट
देव दिवाली के दिन वाराणसी के गंगा तट पर हर साल लाखों की संख्या में दीये जलाए जाते हैं. शाम के समय जब अमृतवाहिनी गंगा के अर्धचंद्राकार घाटों पर अनगिनत दीप एक साथ जलते हैं तो पूरा क्षेत्र एक अलग ही आभा लिए हुए दिखाई देता है. दीपों के इस महापर्व को देखने के लिए लोग देश-विदेश से पहुंचते हैं. यहां पर पहुंचने वाला हर व्यक्ति लाखों की संख्या में एक साथ जलते दीयों को अपने कैमरे में कैद करने की कोशिश करता है. इस दिव्य नजारे को देखने के लिए लोग कई महीने पहले से ही होटल और नाव आदि की बुकिंग करा लेते हैं.
देव दिवाली पर किन देवी-देवताओं की करें पूजा?
कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि पर भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन श्री हरि ने मत्स्यावतार लिया था. कुछ लोग इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता का विशेष पूजन करते हैं क्योंकि कार्तिक अमावस्या के समय श्री हरि योगनिद्रा में सोए रहते हैं और उस समय गणेश-लक्ष्मी की पूजा होती है.
देव दीपावली पर लक्ष्मीनारायण के भक्तों को दोनों को एक साथ पूजन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है. हालांकि इस दिन प्रथम पूजनीय गणपति की विशेष पूजा भी करनी चाहिए क्योंकि अबकी बार देव दीपावली का पावन पर्व बुधवार के दिन पड़ रहा है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)














