Dev Diwali 2025 Deepdaan Shubh Muhurat and Remedies:आज 5 नवंबर 2025, बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली का महापर्व मनाया जाएगा. आज जब संध्या के समय गंगा तटों पर दीपों की अनगिनत कतारें जलेंगी, तो यह केवल एक पर्व नहीं बल्कि देवताओं के पृथ्वी पर अवतरण का प्रतीक उत्सव होगा. इस महापर्व को देव दीपावली इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसी दिन देवता स्वयं गंगा में स्नान एवं दीपदान करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं.
यह दिन कार्तिक पूर्णिमा, गुरुनानक जयंती, और ग्रहों के विलक्षण योग के साथ ऐसा संगम बना रहा है जो सैकड़ों वर्षों में एक बार ही देखने को मिलता है. आइए आज देव दिवाली के दिन बन रहे ग्रहों के अद्भुत योग और धार्मिक महत्व को जानी-मानी ज्योतिषाचार्य डॉ. नीति शर्मा से जानते हैं.
देव दीपावली का शास्त्रीय प्रमाण
स्कंद पुराण और पद्म पुराण के अनुसार, त्रिपुरासुर के संहार के उपरांत देवताओं ने भगवान शंकर की आराधना कर आनंदपूर्वक दीपदान किया था. तभी से यह दिन देव दीपावली के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
शिव पुराण में उल्लेख है -
“त्रिपुरसंहारसमये, यदा शंकरोऽभवत्तुष्टः. तदा देवैरभूद् दीपमालिका, तस्मात् तिथौ दीपदानं पुण्यं भवेत्.”
इस दिन दीपदान करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं, लक्ष्मी का स्थायी वास होता है और मृत पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
देव दिवाली और गुरुनानक जयंती का संयोग
कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली के साथ आज 5 नवंबर 2025 को श्री गुरु नानक देव जी की जयंती भी है - यह अत्यंत दुर्लभ संयोग है जब सत्य, साधना और सेवा का प्रकाश (गुरुनानक) और देवत्व के प्रकाश (देव दीपावली) एक ही दिन जगमगाते हैं. गुरुनानक जी का संदेश “एक ओंकार सतनाम” - इस दिन हमें बताता है कि सत्य ही सर्वोच्च दीपक है. अतः दीपदान केवल बाहरी नहीं, बल्कि आत्मदीप जागरण का प्रतीक बन जाता है.
देव दीपावली पर कुछ ऐसा बन रहा है ग्रहों का योग
कार्तिक पूर्णिमा – चंद्रमा वृषभ राशि में उच्चस्थ
• गुरु (बृहस्पति) उच्च भाव में कर्क राशि में स्थित - धर्म, दान और दिव्य ज्ञान का विस्फोटक उर्जा केंद्र.
• शनि मीन राशि में - कर्म और करुणा का संयमित संगम. यह योग “धर्मफल शनि योग” बनाता है जो कर्मों के फल को तीव्र करता है.
• शुक्र तुला राशि में - प्रेम, सौंदर्य और भोग का संतुलन. लक्ष्मी कृपा का सर्वश्रेष्ठ समय.
• मंगल वृश्चिक राशि में - शक्ति और संकल्प का चरम. यह योग “रुद्र मंगल” कहलाता है, जो आध्यात्मिक पुरुषार्थ को जागृत करता है.
• पूर्णिमा का चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च स्थिति में - सौभाग्य, शांति और स्थायी समृद्धि का द्योतक.
इन सभी ग्रहों का संगम “धर्म-शक्ति-प्रेम-दान” का चतुर्मुख दीपक प्रज्वलित करता है.
देव दिवाली पर कब और कितने दीये जलाएं
आज देव दिवाली के दिन यदि आप श्रद्धा और विश्वास के साथ एक दीया भी जलाते हैं तो आपको देवताओं की पूरी कृपा बरसती है, लेकिन यदि आप इससे ज्यादा दीये जलाना चाहते हैं तो आप अपनी क्षमता के अनुसार आज शाम को प्रदोष काल में शाम को 05:15 से 07:50 बजे के बीच 5, 7, 11, 21, 51 या फिर 101 दीपक जला सकते हैं.
सुख-सौभाग्य के लिए करें 365 दीयों का ये महाउपाय
देव दीपावली के दिन यदि कोई व्यक्ति 365 दीये जलाता है तो उसके द्वारा किया प्रत्येक दीप का दान साल के एक-एक दिन का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में यह उपाय उसके लिए पूरे साल भर के लिए प्रकाश, समृद्धि और सुरक्षा का कवच बनाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार हर दीपक से एक अंधकार हटता है और 365 दीयों के प्रकाश से जीवन के सभी अंधकार, रोग-दु:ख और भय नष्ट होते हैं.
शास्त्र में कहा गया है -
“दीपानां ज्योतिरेवाह्नं, दीपज्योतिः परं शुभम्. दीपदानं त्रैलोक्यस्य तामसं नाशयेद् ध्रुवम्॥”
देव दिवाली पर तुलसी पूजा का महत्व
देव दिवाली के दिन तुलसी पूजन का भी विशेष महत्व है. कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी देवी को भगवान विष्णु का प्रिय रूप माना गया है.
तुलसी में भगवान विष्णु का वास और लक्ष्मी का प्रेम बसता है.
देव दीपावली की रात्रि में तुलसी के समीप दीप प्रज्वलित कर “ॐ तुलस्यै नमः” का जप करने से -
• लक्ष्मी स्थायी होती हैं
• गृहकलह समाप्त होता है
• वंश वृद्धि और आरोग्य प्राप्त होता है
• दांपत्य जीवन में प्रेम और संतुलन आता है
इसलिए कहा गया है कि देव दीपावली की रात तुलसी के आगे दीप प्रज्वलित करना हजार दीपदान के समान फल देता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)














