Dev Diwali 2024: देव दीपावली पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, इस योग में इन्हें होगा लाभ

मान्यता है कि इन योगों में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से साधकों को विशेष आशीर्वाद और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. आइए, जानते हैं इन तीन विशेष योगों का महत्व और उनका शुभ समय.

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देव दीपावली पर गंगा घाटों पर हजारों दीप प्रज्ज्वलित कर भगवान शिव का आह्वान किया जाता है.

Dev Diwali 2024: इस साल की देव दीपावली (Dev Deepawali) पर अद्वितीय और मंगलकारी योग बन रहे हैं, जो इसे खास बनाते हैं. कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के इस पावन अवसर पर ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व रखने वाले तीन प्रमुख योगों - भद्रावास योग, वरीयान योग और बव करण - का निर्माण हो रहा है, जो इसे अत्यंत फलदायी बना रहे हैं. मान्यता है कि इन योगों में भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा-अर्चना करने से साधकों को विशेष आशीर्वाद और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. आइए, जानते हैं इन तीन विशेष योगों का महत्व और उनका शुभ समय.

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भद्रावास योग: हर कष्ट का निवारण

भद्रावास योग को शुभ और कल्याणकारी माना गया है. इस योग का शुभ समय इस बार देव दीपावली पर शाम 04:37 बजे तक रहेगा, जिसके दौरान भद्रा स्वर्ग लोक में होगी. शास्त्रों के अनुसार, भद्रा के स्वर्ग या पाताल लोक में रहने से पृथ्वी पर समस्त जीवों का कल्याण होता है और इस अवधि में शिव पूजा करना विशेष फलदायी होता है. भद्रावास योग में शिव की आराधना करने से साधकों के जीवन के सभी कष्ट और संकट दूर होते हैं और अमोघ फल प्राप्त होता है.

वरीयान योग: मनोकामनाओं की पूर्ति का विशेष संयोग

इस साल देव दीपावली पर सुबह 07:31 बजे से वरीयान योग का निर्माण हो रहा है, जिसे बेहद मंगलकारी माना गया है. वरीयान योग में भगवान शिव और शक्ति की उपासना करने से साधक की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. इस योग में की गई पूजा घर में सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली लाती है. ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, वरीयान योग व्यक्ति की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है और इस विशेष अवसर पर शिव उपासना के माध्यम से साधक के जीवन में शुभता और सकारात्मकता आती है.

बव करण: सफलता और संपन्नता का योग

देव दीपावली के दिन शाम 04:38 बजे से बव करण का निर्माण हो रहा है, जो 16 नवंबर की देर रात 02:58 बजे तक रहेगा. बव करण को भी विशेष फल देने वाला माना गया है और इस योग में भगवान शिव और शक्ति की पूजा करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं. शास्त्रों के अनुसार, बव करण में की गई पूजा से जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता, संपन्नता और खुशहाली का आगमन होता है.

कार्तिक पूर्णिमा के शुभ समय पर विशेष पूजा-अर्चना

इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को सुबह 06:19 बजे से प्रारंभ होकर 16 नवंबर की देर रात 02:58 बजे तक रहेगी. देव दीपावली पर गंगा घाटों पर संध्याकाल में 05:10 से 07:47 तक पूजा और गंगा आरती का विशेष आयोजन होगा, जिसमें हजारों दीप जलाकर भव्य दीपोत्सव मनाया जाएगा. इस पर्व पर भगवान शिव की पूजा और गंगा आरती करने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के दुख-दर्द दूर होते हैं और उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

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देव दीपावली: आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व

देव दीपावली पर गंगा घाटों पर हजारों दीप प्रज्ज्वलित कर भगवान शिव का आह्वान किया जाता है. विशेषकर बनारस में इस दिन का नजारा देखने लायक होता है, जहां गंगा आरती और दीपों की अद्भुत छटा श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देती है. इस पर्व का आयोजन हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का प्रतीक भी है. देव दीपावली पर बन रहे इन शुभ योगों के कारण इस साल की देव दीपावली भक्तों के लिए विशेष फलदायी और मंगलमयी रहने की उम्मीद है.

इस बार देव दीपावली पर भक्त इन विशेष योगों का लाभ उठाते हुए भगवान शिव की आराधना कर अपने जीवन को सफल और समृद्ध बना सकते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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