भोले की भक्ति में सावन की मासिक शिवरात्रि का है बहुत महत्व, जानिए जुलाई या अगस्त कब रखा जाएगा यह व्रत

Shivratri 2024 kab hai : सावन में आने वाली मासिक शिवरात्रि का भी बहुत महत्व है. सावन में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी.

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Sawan Shivratri 2024: सावन का माह पूरी तरह से भगवान शिव की भक्ति के लिए समर्पित है. शिव भक्त पूरे सावन माह में भगवान शिव (Lord Shiva) को जल चढ़ाते हैं, सावन सोमवार का व्रत रखते हैं और कावड़ लेकर शिव मंदिरों में जल चढ़ाने पैदल जाते हैं. शिव भगवान की भक्ति में शिवरात्रि (Shivratri) का बहुत महत्व होता है और हर माह में मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. सावन में आने वाली मासिक शिवरात्रि का विशेष  महत्व है. सावन में आने वाली मासिक शिवरात्रि का भी बहुत महत्व है. सावन में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी. इस बार सावन माह 22 जुलाई से शुरू होगा और 19 अगस्त को समाप्त होगा . ऐसे में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि जुलाई में आएगी या अगस्त में यह जानना जरूरी है. आइए जानते हैं सावन में कब रखा जाएगा मासिक शिवरात्रि  का व्रत. (Masik Shivratri Vrat).

सावन की मासिक शिवरात्रि की तिथि (Date of Sawan Shivratri)

इस बार सावन माह 22 जुलाई को शुरू हो रहा है. सावन का पहला दिन सोमवार है. सावन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 2 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी और 3 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 51 मिनट तक रहेगी. सावन की मासिक शिवरात्रि का व्रत 2 अगस्त शुक्रवार को रखा जाएगा. सावन माह के कांवर लेकर शिव दर्शन के लिए प्रसिद्ध मंदिरों में जाने वाले भक्त वहां लौटने के बाद मासिक शिवरात्रि को भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं.

Photo Credit: NDTV Reporter

सावन की मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि (Puja vidhi of Sawan Shivratri)

सावन की मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने के लिए प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि से निपटने के बाद शिव भगवान का स्मरण कर व्रत करने का संकल्प करें. स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा स्थल की साफ सफाई करें. पूजा की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती समेत पूरे परिवार का चित्र स्थापित करें. कच्चे दूध और गंगा जल से भगवान का अभिषेक करें. महादेव को चंदन और माता पार्वती को कुमकुम से तिलक लगाएं. घी से दीए जलाएं और शिव चालीसा का पाठ करें. अंत में आरती करें और प्रभु का भोग चढ़ाएं. इसके बाद लोगों को प्रसाद बांटकर खुद भी ग्रहण करें

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