Chhath Puja 2025 Surya Aarti: छठ पूजा पर सुख-सौभाग्य और आरोग्य का वरदान दिलाती है भगवान सूर्य देव की आरती

Chhath Puja 2025 Surya Dev Ki Aarti: हिंदू धर्म में छठ की पूजा प्रतिदिन प्रत्यक्ष दर्शन देने वाले भगवान भास्कर यानि सूर्य देव को समर्पित है. जिस छठ व्रत में न सिर्फ उगते हुए बल्कि डूबते हुए सूर्य को संध्या अर्घ्य देने का विधान है, उसका पुण्यफल दिलाने वाली सूर्य देवता की आरती गान करने के लिए पढ़ें ये लेख.

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Chhath Puja 2025: छठ पूजा का पुण्यफल पाने के लिए जरूर करें सूर्य देवता की आरती
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Chhath Puja 2025 Surya Bhagwan Ki Aarti Lyrics: सनातन परंपरा में छठ महापर्व का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. लोक आस्था से जुड़ा ये पर्व प्रकृति की पूजा का महापर्व है, जिसमें जल और प्रकाश के देवता भगवान सूर्य की साधना-आराधना की जाती है. छठ यह एक मात्र पर्व है जिसमें भगवान सूर्य को अस्त और उदय होते समय अर्घ्य देने का विधान है. सूर्य पूजा की इस पद्धति में भी आस और विश्वास की यह कामना जुड़ी है कि जो अस्त हुआ है, वह उदय भी होगा.

सनातन परंपरा में पंचदेवों में से एक भगवान सूर्य को सौभाग्य और आरोग्य का देवता माना गया है, जिनके उदय होते ही पूरे जगत का अंधकार दूर हो जाता है. ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों का राजा और आत्मा का कारक माना जाता है. जिन लोगों की कुंडली में सूर्य मजबूत होता है, उन्हें जीवन में बड़ी सफलता और सम्मान प्राप्त होता है. ऐसा जातक को उच्च पद की प्राप्ति होती है और उसके जीवन में हमेशा सुख-सौभाग्य और आरोग्य बना रहता है. आइए छठ पूजा के पावन मौके पर भगवान भास्कर का आशीर्वाद बरसाने वाली आरती का गान करते हैं.

सूर्य देवता की आरती | Surya Dev Ki Aarti

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान.

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा.

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान.

ॐ जय सूर्य भगवान...

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी. तुम चार भुजाधारी.

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे. तुम हो देव महान.

ॐ जय सूर्य भगवान...

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते. सब तब दर्शन पाते.

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा. करे सब तब गुणगान.

ॐ जय सूर्य भगवान...

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते. गोधन तब घर आते.

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में. हो तव महिमा गान.

ॐ जय सूर्य भगवान...

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते. आदित्य हृदय जपते.

स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी. दे नव जीवनदान.

ॐ जय सूर्य भगवान...

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार. महिमा तब अपरम्पार.

प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते. बल, बुद्धि और ज्ञान.

ॐ जय सूर्य भगवान...

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं. सब जीवों के प्राण तुम्हीं.

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने. तुम ही सर्वशक्तिमान.

ॐ जय सूर्य भगवान...

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल. तुम भुवनों के प्रतिपाल.

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी. शुभकारी अंशुमान.

ॐ जय सूर्य भगवान...

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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