Chhath Puja Shubh Yog: छठ पूजा का महापर्व इस बार और भी ज्यादा खास होने वाला है. लोक आस्था के इस महापर्व पर बेहद दुर्लभ और शुभ योग बन रहा है. इस अवसर पर सूर्य देव को अर्घ्य देने से सिर्फ सेहत ही नहीं, बल्कि परिवार में सुख-शांति, खुशहाली और आर्थिक समृद्धि भी बढ़ती है. इस पर्व पर व्रत और पूजा करने से पॉजिटिव एनर्जी फील होगी और घर में सौभाग्य का वास होगा.
छठ पूजा पर सूर्यदेव की पूजा क्यों की जाती है
छठी मैया को सूर्य देव की बहन माना जाता है. इसलिए छठ पूजा में सूर्य देव के साथ उनकी भी पूजा की जाती है. छठ व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार, माता सीता ने भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद संतान सुख और समृद्धि की कामना से छठ व्रत किया था. मान्यता है कि सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की उपासना कर यह व्रत किया. छठ व्रत के दौरान 'ॐ ह्रीं षष्ठीदेव्यै नमः' यह मंत्र पढ़ना शुभ माना जाता है. यह मंत्र सुख, संतान और समृद्धि देने वाला माना जाता है.
छठ पूजा कब से शुरू है
छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक मनाई जाती है. हर दिन का महत्व अलग है और सभी दिन व्रती को संयम और पवित्रता के साथ पूजा करनी चाहिए. 25 अक्टूबर 2025 चतुर्थी के दिन नहाय-खाय से इसकी शुरुआत होगी. व्रती इस दिन स्नान करके शुद्ध और हल्का भोजन ग्रहण करते हैं. आमतौर पर चना दाल, लौकी की सब्जी जैसी चीजें खाई जाती हैं. यह दिन संयम और पवित्रता का प्रतीक है.
खरना और संध्या अर्घ्य की तिथियां
26 अक्टूबर को पंचमी के दिन खरना है. इस दिन व्रती गुड़-खीर बनाकर ग्रहण करते हैं. इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ होता है. 27 अक्टूबर षष्ठी के दिन संध्या अर्घ्य है. इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. बांस की सूप में फल और ठेकुआ रखकर नदी या तालाब में अर्घ्य देना चाहिए. यह दिन सूर्य देव की कृपा पाने का सर्वोत्तम समय माना जाता है.
छठ पूजा का समापन और उषा अर्घ्य कब है
28 अक्टूबर को सप्तमी तिथि पर उषा अर्घ्य है. सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का समापन होता है. इस दिन सूर्य की ऊर्जा से स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार की खुशहाली की कामना की जाती है.
छठ पूजा पर अद्भुत संयोग
इस साल 27 अक्टूबर को रवि योग बन रहा है, जो रात 10:46 तक रहेगा. ज्योतिष के अनुसार, यह बेहद शुभ और दुर्लभ है. इसके साथ ही सुकर्मा योग भी पूर्ण रात्रि तक रहेगा, जो किसी भी शुभ कार्य और पूजा के लिए अच्छा माना जाता है. इस दौरान कौलव और तैतिल करण भी मौजूद हैं, जो शुभ माने जाते हैं. पूर्वाषाढा नक्षत्र भी इसी समय रहेगा. इन सब संयोगों में पूजा और अर्घ्य देने से सौभाग्य, आरोग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है.














