Chhath Puja Kharna 2025 Puja Vidhi and Significance: हिंदू धर्म में प्रतिदिन प्रत्यक्ष दर्शन देने वाले भगवान सूर्य और षष्ठी यानि छठी मैया की पूजा को समर्पित छठ महापर्व का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व माना गया है. कल कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय से इस पावन पर्व का शुभारंभ हो चुका है और आज इसके दूसरे दिन यानि खरना पूजन होगा. घर-परिवार और संतान के सुख-समृद्धि के लिए रखे जाने वाले इस पावन व्रत को करने के लिए चार दिनों तक कठिन नियमों का पालन करना होता है. जिस खरना के साथ छठ पूजा के 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ होता है, आइए उसका धार्मिक महत्व और विधि और नियम आदि के बारे विस्तार से जानते हैं.
खरना का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार आज कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि है जो कि कल 27 अक्टूबर 2025 को प्रात:काल 06:04 बजे तक रहेगी. देश की राजधानी दिल्ली के समयानुसार आज सूर्योदय प्रात:काल 06:29 बजे और सूर्यास्त सायंकाल 05:41 बजे होगा. ऐसे में छठ पूजा का व्रत रखने वाले व्रती लोग शाम को सूर्यास्त के बाद यानि 05:41 बजे के बाद खरना पूजा कर सकेंगे.
खरना पूजन विधि
खरना वाले दिन स्नान-ध्यान करने के बाद छठ पूजा करने वाले व्रती लोग 36 घंटे का निर्जल व्रत प्रारंभ करते हैं. आज पंचमी के दिन व्रती पूरे दिन बगैर कुछ खाए पिये रहते हैं और शाम के समय स्नान-ध्यान दोबारा करके तन और मन से पवित्र होते हैं. इसके बाद अपने पूजा स्थल को साफ करके मिट्टी के नए चूल्हे पर भोग की सामग्री बनाई जाती है. आज के दिन स्नान करने के बाद नये कपड़े पहनकर भोग बनाने की परंपरा है. छठी मैया को भोग लगाने के लिए दूध की खीर और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है. अत्यंत ही पवित्रता के साथ बनाए जाने वाली भोग प्रसाद में चीनी या नमक का प्रयोग नहीं किया जाता है. खीर में गुड़ का प्रयोग होता है.
आज होगा छठी माई का आगमन
हिंदू मान्यता के अनुसार कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि यानि खरना के दिन ही संतान सुख को बढ़ाने वाली छठी माता का आगमन होता है. ऐसे में आज सायंकाल सूर्यास्त के बाद उनका आह्वान किया जाएगा. गौरतलब है कि छठ पूजा में भगवान भास्कर के साथ षष्ठी देवी की विशेष रूप से पूजा की जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)














