Do's and don't for devotees in Chhath Puja; दिवाली के बाद छठ पूजा (Chhath Puja 2024) की तैयारियां शुरू हो गई हैं. दिवाली (Diwali 2024)के चार दिन बाद से छठ महापर्व की शुरुआत हो जाती है. यह पर्व सूर्य भगवान और प्रकृति पूजा के लिए समर्पित होता है और व्रती चार दिन तक उपवास रखते हैं. महाव्रत की शुरुआत नहाय खाय से होती है, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य के बाद व्रती उपवास तोड़ते हैं. इस महाव्रत में कई नियमों का पालन जरूरी होता है. आइए जानते हैं छठ महाव्रत के नियम, (Chhath puja Niyam) इसका महत्व और तिथियां…..
छठ पूजा के नियम
महापर्व छठ में कई नियमों का पालन जरूरी होता है. इस पर्व में मिट्टी और पवित्र धातु पीतल के बरतनों का उपयोग करना जरूरी है. छठ पूजा करने वाले पूरे परिवार के साथ दिवाली के बाद से सात्विक भोजन करते हैं. पूजा के लिए बनाए जाने वाले प्रसाद के लिए गेहुं की साफ सफाई पर भी बहुत ध्यान दिया जाता है. पूजा वाले घर में साफ सफाई और पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है. व्रत के दौरान व्रती साफ वस्त्र धारण करते हैं और जमीन पर चटाई बिछाकर सोते हैं. पूजा के लिए बांस से बनी टोकरी और सूप का उपयोग किया जाता है.
छठ पूजा का महत्व
छठ का महापर्व जीवन में सुख समृद्धि और संतान की लंबी उम्र की कामना के साथ किया जाता है. यह जीवन के केंद्र सूर्य देव और प्रकृति के प्रति मानव जाति की कृतज्ञता को प्रदर्शित किए जाने का पर्व है. यह सनातन धर्म में शुरू से प्रकृति के महत्व को समझने और उसे महत्व देने का प्रतीक पर्व है. बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में किया जाने वाला यह महापर्व और पूरे देश ही नहीं विदेश में भी किया जाने लगा है.
छठ पूजा की तिथियां
चार दिन तक चलने वाले महापर्व छठ की शुरुआत नहाय खाय से होती है. इस बार 5 नवंबर मंगलवार को नहाय खाय है. 6 नवंबर बुधवार को खरना, 7 नवंबर गुरुवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य और 8 नवंबर शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ व्रत की समाप्ति होगी और व्रती पारण करेंगे.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)