चंद्र दोष को दूर करने के लिए किया जाता है इन मंत्रों का जाप

मान्यता है कि भोलेनाथ का पूजन (Bholenath Ka Pujan) करने से चंद्रमा के दोष का निवारण होता है, साथ ही विशेष फल की प्राप्ति होती है. भगवान शिव  शंकर (Lord Shiva Shankar) के कई नामों में से एक नाम है सोमसुंदर, यहां सोम का अर्थ चंद्र से है.

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चंद्र दोष का करें निवारण, इन मंत्रों से करें भोलेनाथ की पूजा
नई दिल्ली:

सनातन धर्म (Sanatan Dharma) में हर दिन किसी ना किसी देवी-देवता को समर्पित है. इसी क्रम में सोमवार (Monday) का दिन चंद्र देवता (Chandra Dev) को समर्पित है, जिन्हें मन का कारक भी माना गया है. बता दें कि चंद्रमा को सोम (Som) भी कहा जाता है. चन्द्रमा के अधिदेवता भी शिव (Shiva) हैं और इसके प्रत्याधिदेवता जल. सोमवार का दिन भगवान शिव शंकर (Lord Shiva Shankar) का भी माना जाता है. इस दिन देवों के देव महादेव (Lord Mahadev) का विधि-विधान से पूजन (Pujan) और व्रत (Vrat) किया जाता है.

मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ का पूजन (Bholenath Ka Pujan) करने से चंद्रमा के दोष का निवारण होता है, साथ ही विशेष फल की प्राप्ति होती है. भगवान भोलेनाथ के कई नामों में से एक नाम है सोमसुंदर, यहां सोम का अर्थ चंद्र से है. मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है, उनका हर तरह की परिस्थिति में मन नियंत्रण में होता है. वहीं, इसी तरह कुंडली में चंद्रमा के कमजोर होने पर बेचैनी बनी रहती है.

कहते हैं कि चंद्र दोष (Chandra Dosh) के प्रभाव के कारण व्यक्ति के ना सिर्फ मन पर, बल्कि उसकी माता की सेहत आदि पर भी असर पड़ता है. इसके लिए चंद्र का मजबूत रहना अनिवार्य है. कहते हैं कि कुंडली में चंद्रमा कमजोर होने पर सोमवार को चंद्रमा कवच समेत इन मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं कि किन उपायों को करने से चंद्र दोष दूर (Chandra Dosh ke Upay) किया जा सकता है.

श्री चंद्र कवच | Shri Chandra Kavach Stotram

श्रीचंद्रकवचस्तोत्रमंत्रस्य गौतम ऋषिः । अनुष्टुप् छंदः।

चंद्रो देवता। चन्द्रप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।

समं चतुर्भुजं वन्दे केयूरमुकुटोज्ज्वलम् ।

वासुदेवस्य नयनं शंकरस्य च भूषणम् ॥ १ ॥

एवं ध्यात्वा जपेन्नित्यं शशिनः कवचं शुभम् ।

शशी पातु शिरोदेशं भालं पातु कलानिधिः ॥ २ ॥

चक्षुषी चन्द्रमाः पातु श्रुती पातु निशापतिः ।

प्राणं क्षपाकरः पातु मुखं कुमुदबांधवः ॥ ३ ॥

पातु कण्ठं च मे सोमः स्कंधौ जैवा तृकस्तथा ।

करौ सुधाकरः पातु वक्षः पातु निशाकरः ॥ ४ ॥

हृदयं पातु मे चंद्रो नाभिं शंकरभूषणः ।

मध्यं पातु सुरश्रेष्ठः कटिं पातु सुधाकरः ॥ ५ ॥

ऊरू तारापतिः पातु मृगांको जानुनी सदा

अब्धिजः पातु मे जंघे पातु पादौ विधुः सदा ॥ ६ ॥

सर्वाण्यन्यानि चांगानि पातु चन्द्रोSखिलं वपुः ।

एतद्धि कवचं दिव्यं भुक्ति मुक्ति प्रदायकम् ॥

यः पठेच्छरुणुयाद्वापि सर्वत्र विजयी भवेत् ॥ ७ ॥

॥ इति श्रीब्रह्मयामले चंद्रकवचं संपूर्णम् ॥

चंद्र मंत्र

ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।

ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।

ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:।

चंद्रमा का बीज मंत्र

ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।

चंद्रमा का वैदिक मंत्र:

ॐ इमं देवा असपत्न सुवध्वं महते क्षत्राय महते

ज्यैष्ठयाय महते जानराज्यायेनद्रस्येन्द्रियाय।

इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश

एष वोमी राजा सोमोस्मांक ब्राह्मणाना राजा।।

शिवजी के मंत्र:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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