Lunar Eclipse 2025: वर्ष 2025 में दूसरा चंद्र ग्रहण भाद्रपद माह की पूर्णिमा के दिन लगने वाला है. भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन से ही पितृपक्ष की भी शुरुआत होती है. यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और भारत में नजर आएगा. भारत में नजर आने के कारण इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल भी मान्य होगा. आइए जानते हैं कब लगने वाला है चंद्र ग्रहण (Bharat Mein Kab Lagne Wala Hai Chandra Grahan), चंद्र ग्रहण का सूतक काल कब से मान्य (Chandra Grahan Ka Sutak Kal Kab Shuru Hoga) होगा और सूतक काल में किन किन बातों का रखना चाहिए ध्यान (What To Be done During Sutak Kal).
कब लगेगा चंद्र ग्रहण (When will the lunar eclipse occur?)
वर्ष 2025 में दूसरा चंद्र ग्रहण भाद्रपद माह की पूर्णिमा के दिन लगने वाला है. यह ग्रहण 7 सितंबर रविवार को रात 9 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगा और रात 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा. यह चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढक जाने के कारण लाल नजर आएगा. खगोलविद इस तरह की घटना को ब्लड मून भी कहते हैं.
भारत में कब से रहेगा सूतक काल (From when will Sutak period be observed in India?")
यह चंद्र ग्रहण भारत में पूरी तरह दिखाई देगा, इसलिए इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा. ग्रहण लगने के 9 घंटे पहले से सूतक काल मान्य होता है. 7 सितंबर को सूतक काल दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से मान्य होगा और इस दौरान हर तरह के धार्मिक कामों पर रोक लग जाएगी.
सूतक काल में क्या नहीं करना चाहिए (What should not be done during Sutak period)
- चंद्र ग्रहण के सूतक काल में मंत्र जाप किया जा सकता है, पर पूजा-पाठ पर रोक रहती है.
- सूतक काल में भोजन ना बनना चाहिए ना खाना चाहिए.
- ग्रहण के पहले सूतक काल शुरू होते ही मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं.
- सूतक काल में किसी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.
- सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है.
ग्रहण और सूतक काल से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं (Religious beliefs related to eclipse and Sutak period)
शास्त्रों के मुताबिक ग्रहण को अशुभ समय माना जाता है. मान्यता है कि इस समय दुनिया में निगेटिव एनर्जी प्रभाव बढ़ जाता है. इस समय ध्यान और भक्ति करना अधिक फलदायक होता है. धामिर्क मान्यताओं के अनुसार ग्रहण और सूतक काल के दौरान प्रभु का नाम जपना, मंत्र जाप, हनुमान चालीसा और गीता का पाठ करने अच्छा माना जाता है. कुछ लोग ग्रहण के दौरान उपवास भी रखते हैं.
पितृपक्ष पर चंद्र ग्रहण का प्रभाव (Impact of Lunar Eclipse on Pitru Paksha)
7 सितंबर से पितृ पक्ष भी शुरू हो रहा है और इसी दिन रात 9 बजकर 58 मिनट से चंद्र ग्रहण लगने वाला है. ग्रहण के 9 घंटे पहले से सूतक काल मान्य हो जाता है. सूतक काल में पूजा-पाठ सहित सभी तरह के धार्मिक कार्य करना वर्जित माना जाता है. ऐसे में 7 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 58 मिनट से पहले तक का ही समय श्राद्ध और तर्पण करने के लिए उचित रहेगा.