Budhwar Vrat Ki Katha Puja Aur Udyapan Vidhi: सनातन परंपरा में में किसी भी देवी-देवता का आशीर्वाद पाने के लिए तमाम तरह की पूजा के साथ व्रत का विशेष विधान है. हिंदू मान्यता के अनुसार बुधवार का दिन रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश जी और बुध देवता की पूजा और व्रत के लिए समर्पित है. मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ बुधवार का व्रत विधिपूर्वक करता है तो उसे इन देवताओं की कृपा और शुभ फल प्राप्त होते है. आइए जानते हैं कि बुधवार के जिस व्रत को करने से करियर-कारोबार में सफलता से लेकर सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है, उसे कब और कैसे शुरू और पूर्ण होने पर उद्यापन किया जाता है.
कब शुरू करें बुधवार का व्रत
हिंदू मान्यता के अनुसार बुधवार का व्रत किसी भी हिंदी मास के शुक्लपक्ष के पहले बुधवार से शुरू करना चाहिए. यदि इस बुधवार को बुध का नक्षत्र पड़े तो और भी ज्यादा शुभ रहता है. बुधवार का व्रत कम से कम 21 या 45 रखना चाहिए. यदि बीच में कोई व्रत किसी कारण छूट या टूट जाए तो आगे उसे पूरा करते हुए सही विधि से उद्यापन करना चाहिए.
बुधवार व्रत विधि
बुधवार के दिन व्रत करने के लिए साधक को स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान श्री गणेश जी औ बुध देवता की विधि-विधान से पूजा करना चाहिए. व्रत वाले दिन साधक को हरे रंग के कपड़े पहनने का प्रयास करना चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार बुधवार के दिन गणपति को 21 गांठों वाली दूर्वा चढ़ाने शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इसी प्रकार बुध देवता की पूजा में हरे रंग के वस्त्र चढ़ाकर उनके मंत्रों का जप करना चाहिए. व्रत की पूजा के अंत में भगवान गणेश और बुध देवता की आरती करना बिल्कुल न भूलें.
बुधवार के व्रत का धार्मिक महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान श्री गणेश और बुध देवता से जुड़े बुधवार के व्रत को नियमपूर्वक करने पर साधक को बुद्धि, विद्या, बुद्धि, विवेक, सुख-सौभाग्य और अरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साधक के करियर-कारोबार में आ रही समस्याएं दूर होती हैं और उसकी कार्यक्षेत्र में उन्नति होती है.
कैसे करें बुधवार व्रत का उद्यापन
हिंदू मान्यता के अनुसार जब आपके द्वारा व्रत की अवधि और संकल्प पूरा हो जाए तो आपको उसका विधि-विधान से उद्यापन करना चाहिए. उद्यापन करने के लिए साधक को बुधवार वाले दिन जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार बुधवार व्रत के उद्यापन वाले दिन साधक को बुध देवता के मंत्र का कम से कम 19000 जप और बुध ग्रह से संबंधित लकड़ी अपामार्ग से उसी मंत्र का कम से कम एक माला हवन करना चाहिए. गणपति और बाद बुध देवता की विधि-विधान से पूजा, कथा श्रवण और हवन आदि के बाद अंत में उनकी विधि-विधान से आरती करना चाहिए. इसके बाद आप अपने सामर्थ्य के अनुसार बुध से जुड़ी चीजों का दान करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)














