आज मनाई जा रही है दया और करुणा के प्रतीक भगवान बुद्ध की जयंती, जानिए बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और महत्व

हर वर्ष बैशाख पूर्णिमा को जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं, भगवान बुद्ध की जयंती मनाई जाती है और उनके उपदेशों को स्मरण किया जाता है. यह दिन बौद्ध धर्म के लोगों के लिए बहुत खास होता है. धूमधाम से बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है.

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Buddha purnima 2024 date time : आइए जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और पूजा के नियम.

Buddh Purnima 2024: भगवान बुद्ध का दया, करुणा और परोपकार की शिक्षा जन जन तक पहुंचाने के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है.  हर वर्ष वैशाख पूर्णिमा को जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं, भगवान बुद्ध की जयंती मनाई जाती है और उनके उपदेशों को स्मरण किया जाता है. यह दिन बौद्ध धर्म के लोगों के लिए बहुत खास होता है. पूरे पूर्वी और दक्षिणी एशिया में धूम धाम से  बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है. भगवान बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था. पहले उन्हें राजकुमार सिद्धार्थ के नाम से जाना जाता था. लोगों के दुख से द्रवित सिद्धार्थ दुख का निवारण की खोज में  निकल पड़े और 35 वर्ष की आयु में निर्वाण प्राप्त कर लिया था. आइए जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और पूजा के नियम..

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बुद्ध पूर्णिमा की तिथि

इस वर्ष वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा की तिथि 22 मई बुधवार को शाम 6 बजकर 47 मिनट से शुरू होगी और 23 मई गुरुवार को शाम 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगी. बुद्ध पूर्णिमा 22 मई बुधवार को मनाई जाएगी.

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बुद्ध पूर्णिमा की पूजा विधि

बुद्ध पूर्णिमा के दिन की शुरुआत घर की साफ सफाई से होती है. इस दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व है. गंगा स्नान नहीं कर पाने वाले लोग नहाने के जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करते हैं. पूरे घर में गंगा जल का छिड़काव किया जाता है. घरों को फूलों से सजाया जाता है और दीये जलाए जाते हैं. घर के प्रवेश द्वार पर रंगोली और तोरण से सजावट की जाती है. इस दिन बोधि वृक्ष को जल देने की भी परंपरा है. गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन और वस्त्र का दान किया जाता है.

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स्नान-दान और चंद्रमा को अघ्र्य का महत्व

बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान का बहुत महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन जल से भरे कलश और पकवान का दान करना चाहिए. इससे सौ गायों के दान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य भी दिया जाता है. इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान के बाद संध्या के समय चंद्र देव को अर्घ्य देते हैं. इससे मानसिक संताप में कमी आती है और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है.

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