Bihar Election 2025: बिहार चुनाव में जनता से पहले ज्योतिषी से मिल रहे हैं नेता, क्या वाकई टोने-टोटके से बनेगा राजयोग?

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की डुगडुगी बजते ही तमाम पार्टियों के नेता ज्योतिषियों की शरण पहुंचने लगे हैं? किसी को पर्चा दाखिल करने की शुभ घड़ी जाननी है तो कोई ज्योतिष उस कारगर उपाय को जानना चाहता है, जो उसकी चुनावी जीत को सुनिश्चित कर सके? ऐसे में लाख टके का सवाल ये है कि चुनाव में क्या वाकई ज्योतिष का जादू चलता है?

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चुनावी जंग जीतने के लिए ज्योतिषियों की शरण में नेताजी.
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Bihar election 2025 Astro Prediction: चुनाव जीतने का फार्मूला सिर्फ राजनीतिक पंडित ही नहीं बल्कि ज्योतिषी भी बताते हैं. शायद यही कारण है कि बिहार चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही तमाम नेता जनता से पहले ज्योतिषियों की चौखट पर पहुंच रहे हैं. इस चुनावी मौसम में पंडित जी से कोई टिकट पाने का कारगर उपाय जानना चाहता है तो किसी को उस शुभ दिन और समय की जानकारी चाहिए, जिसमें नामिनेशन करने पर चुनावी जीत सुनिश्चित हो जाए. राजसत्ता की लालसा लिए जब एक नेता किसी ज्योतिषविद् को अपनी कुंडली या फिर हाथ की भाग्य रेखा दिखाने पहुंचता है तो वो कौन सी चीजें हैं, जिस पर सबसे पहले ज्योतिषी विचार करते हैं. क्या वाकई ज्योतिष के जादू से चुनावी जीत संभव है? आइए इसे विस्तार से जानने और समझने की कोशिश करते हैं. 

हार-जीत में चंद्रमा और तारे का क्या है रोल?

ज्योतिर्वेद वेद-विज्ञान संस्थान, निदेशक और जाने-माने ज्योतिषाचार्य पं. राजनाथ झा बीते ​30 वर्षों से ज्योतिष से जुड़ी सेवाएं दे रहे हैं. बिहार की राजधानी पटना स्थित कंकड़बाग कार्यालय में हर दिन कोई न कोई नेता अपनी कुंडली दिखाने के लिए पहुंच रहा है. जब कोई नेता उनसे चुनावी जंग जीतने का महाउपाय पूंछता है तो सबसे पहले उसके कुलाकुल चक्र को देखते हैं. जिसमें नक्षत्र, तिथि आदि का समावेश होता है. पं. राजनाथ के अनुसार जब कोई नेता नामांकन के लिए शुभ समय पूछता है तो वे ताराबल और चंद्रमा की स्थिति पर विचार करते हैं. पं. राजनाथ झा के अनुसार यदि 4, 8 और 12 के चंद्रमा को खराब समय माना जाता है, जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. इसी प्रकार यदि ताराबल की बात करें तो तीन नक्षत्रों का एक तारा होता है. कुल 9 तारे - जन्म, संपत, विपत, क्षेम, प्रत्यरी, साधक, वध, मित्र और अति मित्र होते हैं. 

तब करवाते हैं अशुभ ग्रहों की शांति

ज्योतिषी राजनाथ झा के अनुसार चुनाव से जुड़ा कोई भी कार्य जब आप करें तो चंद्रमा और तारा आपके अनुकूल होना चाहिए. इसी प्रकार उस दिन के अमृत योग, सिद्ध योग, राजयोग, आदि का विचार किया जाता है. साथ ही साथ राहुकाल और अर्धपारा का त्याग करके शुभ मुहूर्त बताते हैं, ताकि उस व्यक्ति को चुनावी सफलता मिल सके. इन सभी चीजों के साथ नेता विशेष की कुंडली यदि उपलब्ध होती है तो उसमें इस बात का विचार किया जाता है कि क्या उसमें राजयोग है. यदि है तो अत्यंत ही शुभ है, लेकिन यदि नहीं है तो हम उस ग्रह विशेष पर विचार करते हुए उसके लिए उन्हें उपाय बताते हैं जो राजयोग के आड़े आ रहा है. ऐसे अशुभ ग्रहों के लिए हम विशेष रूप से शांति और पूजा-पाठ करवाते हैं. 

कब और कैसे मिलती है चुनाव में जीत? 

पं. महादेव झा के अनुसार भी चुनाव हो या फिर कोई दूसरा शुभ कार्य उसके लिए सुदिन, सुनक्षत्र और चंद्रमा का विचार करना बेहद जरूरी हो जाता है क्योंकि चंद्रबल से ही सारे बल प्राप्त होते हैं और वह चुनाव में विजय, कार्य की पूर्णता और उसमें वृद्धि का द्योतक है. ऐसे में यदि कोई राजनेता इस पर विचार करते हुए अपनी चुनावी रणनीति तय करता है तो उसकी सफलता की संभावना बढ़ जाती है. इसके साथ उस नेता की कुंडली में ग्रहों की स्थिति को देखकर भी विचार किया जाता है. इस तरह पंचांग में नक्षत्र, चंद्रमा, मुहूर्त, शुभ दिन, योग आदि पर विचार करके हम किसी भी नेता को बताते हैं कि उसे किस समय और किस दिन अपना पर्चा दाखिल करना चाहिए. उनके अनुसार यदि किसी जातक का शुभ लग्न, शुभ नक्षत्र और चंद्रमा प्रबल है तो उसमें उस हर हाल में उस व्यक्ति को विजयश्री प्राप्त होगी. 

किस स्तोत्र को पढ़ने से मिलेगी चुनावी सफलता?

पं. महादेव झा के अनुसार इन सभी विचार के साथ चुनावी जीत के लिए कराए जाने वाले यज्ञ-अनुष्ठान का बहुत प्रभाव पड़ता है. देवी भागवत के अनुसार जब देवता और दैत्य के बीच युद्ध प्रारंभ होने वाला था तब देवताओं ने अपने गुरु बृहस्पति को युद्ध के दौरान विजय स्तोत्र का पाठ करते रहने का निवेदन किया था ताकि उनकी विजय सुनिश्चित हो सके. ऐसे में यदि कोई चुनावी जंग में उतर रह है तो उसके लिए विजय स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत ही कल्याणकारी और शुभ साबित होता है. 

चुनाव में विजय दिलाने हैं ये ज्योतिष उपाय! 

ज्योतिष विद्या को ईश्वरीय आशीर्वाद मानने वाले पटना के जाने-माने ज्योतिषाचार्य पं. सत्य नारायण झा का कहना है कि जब कोई हमसे पूछता है​ कि वह चुनावी जंग जीत पाएगा या नहीं तो सबसे पहले हम देखते हैं कि उसका जन्म किस महीने में हुआ है और वह कितने दिनों से राजनीति में सक्रिय है. साथ ही वह कुख्यात है कि विख्यात है. चुनावी भविष्यवाणी करने के लिए सिर्फ उस नेता की ही नहीं बल्कि उसके मुकाबले खड़े दूसरे नेता की कुंडली का भी अध्ययन करते हैं क्योंकि दो अच्छी कुंडली में विजय उसी की होगी, जिसके ग्रह-नक्षत्र ज्यादा शुभ स्थिति में होंगे. 

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पं. सत्यनारायण झा के अनुसार किसी भी चुनावी जंग जीतने के लिए ज्योतिष में कारगर उपाय बताये गये हैं, जिन्हें विधि-विधान करने पर सकारात्मक फल प्राप्त होता है. जैसे नामिनेशन के लिए व्यक्ति को पांच फल के रस को माथे पर तिलक लगाकर और अपने पास अशोक या बेलपत्र रख कर निकलना चाहिए. साथ ही साथ घर के बुजुर्ग लोगों का आशीर्वाद विशेष रूप से लेना चाहिए. पं. सत्य नारायण झा के अनुसार इसे यात्रा टोटका बोलते हैं, जिसे काफी फलदायी माना गया है. 

देवी के इन मंदिरों में मिलता है चुनावी जीत का आशीर्वाद

हिंदू मान्यता के अनुसार तमाम तरह के ज्योतिष उपायों के साथ कई ऐसे पावन धाम भी हैं, जहां दर्शन और पूजन मात्र से नेताओं को चुनावी जीत का आशीर्वाद मिलता है. चुनावी मौसम आते हैं नेता लोग विजय की कामना लिए तंत्र-मंत्र से जुड़े मां कामख्या और मां विंध्वासिनी के शक्ति पीठ पर ​पहुंचते हैं. इसके साथ मां दतिया के दरबार में भी बड़ी संख्या में हाजिरी लगाने के लिए पहुंचने लगते हैं. यदि बात करें मां पीतांबरा की तो उन्हें तो लोग राजसत्ता की देवी के रूप में पूजते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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