Budh Pradosh Vrat 2023: हिंदू धर्म में भादों का महीना बहुत खास माना जाता है. इस महीने में ऐसे कई त्योहार होते हैं जो लोगों के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं. भौम प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) भी उन्हीं विशेष त्योहारों में से एक है. यह व्रत हर महीने दो बार होता है, यानी 12 महीने में कुल मिलाकर यह व्रत 24 बार होता है. शिव भक्तों के लिए इस व्रत का महत्व जाता होता है. प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat 2023) में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है. इससे हमारे जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है. इस साल भाद्रपद महीने का आखिरी प्रदोष (budh pradosh vrat vidhi) व्रत 27 सितंबर, बुधवार को रखा जाएगा. लेकिन कई लोग प्रदोष व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त को लेकर दुविधा में होते हैं तो चलिए आपके कंफ्यूजन को दूर करें.
इस साल शिव भक्तों के द्वारा भाद्रपद माह का आखिरी प्रदोष व्रत 27 सितंबर 2023, बुधवार को रखा जाएगा. व्रत की शुरुआत 27 सितंबर 2023, बुधवार को प्रातः काल 1 बजकर 47 मिनट पर होगी और रात 10 बजकर 20 मिनट इसका समापन होगा.
अगर बुध प्रदोष व्रत की पूजा शुभ मुहूर्त पर की जाए तो इसके कई लाभ देखने को मिल सकते हैं. प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त 27 सितंबर, बुधवार को शाम 5 बजकर 58 मिनट से लेकर रात 7 बजकर 52 मिनट तक का है. इस बीच भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना शुभ माना जाता है.
गंगाजल, धूप दीप, पूजा के बर्तन, दही, शुद्ध देसी घी, पांच मिष्ठान, धतूरा, भांग, कपूर, चंदन, रोली, मौली, पांच फल, मेवे ये शिव जी के प्रिय श्रृंगार सामग्री है.
- सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करके साफ- सुथरे कपड़े पहनें.
- भगवान शिव माता पार्वती के लिए आसान तैयार करें और उन्हें उस पर विराजमान करें.
- इसके बाद मंदिर में दीप जलाएं और व्रत लेने का संकल्प लें.
- भगवान का साज श्रृंगार करें और उनके सामने उनकी प्रिय सामग्री और फल चढ़ाएं.
- भोग लगाएं और पुष्प अर्पित करें.
- इसके बाद भगवान शिव माता पार्वती और गणेश भगवान की आराधना करें.
- आखिर में भगवान शिव की आरती करते हुए ओम नमः शिवाय का जाप करें.
- शाम में भी दिया जरूर जलाएं. (प्रस्तुति- रौशनी सिंह)
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)