Bhagwan Vishnu Ki Aarti in Hindi :शरद पूर्णिमा पर श्री हरि की कृपा पाने के लिए जरूर गाएं भगवान विष्णु की आरती

Om Jai Jagdish Hare Aarti Hindi: हिंदू धर्म में पूर्णिमा की पूजा और व्रत का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है.श्रीहरि की कृपा और मनचाहा फल दिलाने वाली शरद पूर्णिमा की पूजा तब तक संपन्न नहीं होती, जब तक आप भगवान विष्णु की आरती नहीं करते हैं. भगवान विष्णु की आरती का गान करने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

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Bhagwan Vishnu Ki Aarti Hindi Mein : भगवान विष्णु की आरती
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Sharad Purnima 2025 Bhagwan Vishnu Ki Aarti: आश्विन मास की पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि इस दिन जहां चंद्रमा अपनी 16 कलाओं को लिए हुए आकाश से अपनी रोशनी के जरिए अमृत वर्षा करता है तो वहीं इस दिन धन की देवी अपने भक्तों पर कृपा बरसाने के लिए पृथ्वी पर विशेष रूप से भ्रमण करती हैं. आश्विन मास की पूर्णिमा इन दोनों ही देवताओं के साथ भगवान श्री विष्णु की पूजा के लिए भी अत्यंत ही शुभ और फलदायी माना गया है.

हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन यदि कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान विष्णु के लिए व्रत रखते हुए पूजा और मंत्र जप आदि करता है तो उसके सभी काज श्रीहरि के आशीर्वाद से जरूर पूरे होते हैं, लेकिन यह पूजा तभी पूरी होती है जब आप इसमें पूरे समर्पण और मनोभाव से भगवान विष्णु की आरती करते हैं. आइए भगवान विष्णु की पूजा को संपन्न करने और उनसे मनचाहा वरदान दिलाने वाली आरती का गान करते हैं.

भगवान विष्णु की आरती | Bhagwan Vishnu Ki Aarti

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे.

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे.

जो ध्यावैफल पावै, दुख बिनसेमन का.

सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का.

ॐ जय जगदीश हरे...

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी.

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी.

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी.

पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी.

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता.

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता.

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति.

किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैंकुमति.

ॐ जय जगदीश हरे...

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे.

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे.

ॐ जय जगदीश हरे...

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा.

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा.

ॐ जय जगदीश हरे...

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ हैतेरा.

तेरा तुझको अर्पण क्या लागेमेरा.

ॐ जय जगदीश हरे...

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे.

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे.

ॐ जय जगदीश हरे...

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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