Kab Hai Govats Dwadashi 2021 : मान्‍यता है गाय के दर्शन भर से मिल जाता है दान और यज्ञ जितना पुण्‍य, इस दिन ऐसे करें पूजा और ये है शुभ मुहूर्त

Govats Dwadashi 2021 :  कृष्ण पक्ष की द्वादशी को देश भर में गोवत्स द्वादशी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन पूरे विधि विधान से गाय और गाय के बछड़े की पूजा करने की परंपरा है. कहते हैं गोवत्स द्वादशी के दिन गाय की पूजा करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है.

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गोवत्स द्वादशी 2021 : गाय और बछड़े को भोजन कराने के बाद उनके चरणों की धूल से तिलक किया जाता है.
नई द‍िल्‍ली:

Govats Dwadashi 2021 :  कृष्ण पक्ष की द्वादशी को देश भर में गोवत्स द्वादशी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन पूरे विधि विधान से गाय और गाय के बछड़े की पूजा करने की परंपरा है. मान्यता है कि सभी देवी देवताओं का गाय में वास होता है और गाय और बछड़े की पूजा से भगवान प्रसन्न होते हैं. इस दौरान व्रत रखने की भी परंपरा है. इस व्रत से पुत्र का मंगल होता है ऐसी मान्यता है.हिन्दू धर्म में गाय को बहुत पवित्र माना जाता है. लोगों का मानना है कि सिर्फ गौ माता के दर्शन से ही बड़े बड़े दान और यज्ञ का पुण्य मिल जाता है. कहते हैं जो पूरे मन से गोवत्स द्वादशी की पूजा करते हैं उन्हें मनोवांछित फल मिलता है. 3 सितंबर को गोवत्स द्वादशी पूरे देश में मनाई जाएगी ,इसे बछबारस भी कहते हैं. अगर आप गोवत्स द्वादशी का व्रत पूरे विधि विधान से करना चाहती हैं और उसकी विधि नहीं पता तो आज हम आपको पूजा की पूरी विधि बताएंगे.

क्या है गोवत्स द्वादशी व्रत के पूजा की विधि  (Govats Dwadashi pujan vidhi)

गौ द्वादशी की विधि विधान से पूजा करने के लिए सबसे पहले आप नहाने के बाद साफ और स्वच्छ कपड़े पहन कर तैयार हो जाएं

अब दूध देने वाली गाय और बछड़े के पास जाकर उन्हें पानी से नहला दें. फिर उन पर फूल माला चढ़ा दें और उनकी सींग को भी फूलों से सजा दें.

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अब पूजा को आगे बढ़ाते हुए गाय और बछड़े को टीका लगाएं, चावल की बजाए इस पूजा में आपको बाजरे का टीका लगाना है.

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टीका के बाद आप गाय को बाजरा, या मक्के के आटे से बनी हुई रोटी खिलाएं साथ ही बेसन से बनी चीजों का भोग लगाएं. बछड़े को भी खाने में अंकुरित अनाज खिलाएं.

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इस बात का खास ख्याल रखें कि गोवत्स द्वादशी के दिन गाय के दूध से बनी चीजों से परहेज़ करें, सिर्फ भैंस के दूध से बनी चीजों का ही पूजा में उपयोग करें.

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इस दिन गेहूं और चावल से बनी चीजों को खिलाना वर्जित है.

गाय और बछड़े को भोजन कराने के बाद उनके चरणों की धूल से तिलक करें.

ये सब विधि पूरी करने के बाद कथा सुनें, और गोवत्स द्वादशी की कथा सुनते वक़्त बाजरा हाथ में रखें.

इसके बाद आने पुत्र को प्रसाद में चढ़ाया हुआ लड्डू देकर तिलक लगाएं. 

शाम को एक बार फिर गाय की पूजा करें.

गोवत्स द्वादशी का शुभ मुहूर्त

3 सितंबर को गोवत्स द्वादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त है. जानकारों का मानना है कि द्वादशी का पूरा दिन पूजन के लिए शुभ है. कहते हैं बस बारस के दिन अगर माताएं गौ माता की पूरे विधि विधान से पूजा करती हैं और उन्हें हरा चारा खिलाती हैं तो उनके घर मां की कृपा बरसती है.

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