Bada Mangal 2022: ज्येष्ठ मास का तीसरा बड़ा मंगल आज, जानिए पूजा विधि और हनुमान जी की आरती

Bada Mangal 2022: ज्येष्ठ मास का बड़ा मंगल हनुमान जी की पूजा के लिए बेहद खास माना जाता है. 31 मई को ज्येष्ठ मास का तीसरा बड़ा मंगल है.

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Bada Mangal 2022: बड़ा मंगल के दिन हनुमान जी की पूजा बेहद खास मानी जाती है.

Bada Mangal 2022: धार्मिक मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ मास का मंगलवार भगवान हनुमान जी (Hanuman Ji) की उपासना के लिए बेहद खास माना जाता है. ज्येष्ठ मास (Jyeshtha Month) के मंगलवार को बड़ा मंगल (Bada Mangal) या बुढ़वा मंगल करते हैं. 31 मई को तीसरा बुढ़वा मंगल पड़ रहा है. बड़ा मंगल कई मायनों में खास माना जाता है. मान्यतानुसार भगवान हनुमान जी की कृपा पाने के लिए बेहद खास माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन की कई हनुमान जी की पूजा से हर इच्छा पूरी होती है. आइए जानते हैं कि ज्येष्ठ मास के तीसरे बड़े मंगल के दिन क्या करना शुभ रहेगा. 


बड़ा मंगल के दिन कैसे करें हनुमान जी की पूजा | Bada Mangal Puja Vidhi

बड़ा मंगल हनुमान जी को समर्पित है. ऐसे में इस दिन भक्त सुबह ब्रह्म मुहू्र्त में उठकर स्नान आदि के निवृत हो जाते हैं. इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहनते हैं. इस दिन लाल रंग का वस्त्र पहनना अच्छा माना गया है. इसके बाद हनुमान जी को लाल रंग के फूल, सिंदूर, अक्षत अर्पित करते हैं. फिर उन्हें गुड़, चने की दाल, बूंदी, लड्डू इत्यादि चढ़ाया जाता है. पूजा के अंत में हनुमानजी के समक्ष घी का दीपक और धूप जलाकर हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ किया जाता है. इसके बाद हनुमान जी की आरती की जाती है. बड़े मंगल के दिन किसी हनुमान मंदिर में जाकर भगवान को सिंदूर चमेली का तेल मिलाकर बनाया गया लेप अर्पित करने से भगवान जल्द प्रसन्न होते हैं. 

बड़ा मंगल का महत्व | Importance of Bada Mangal

बड़ा मंगल के दिन श्रीराम भक्त हनुमान जी की उपासना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर हनुमान जी की विधिवत उपासना करने से हर संकट दूर हो जाते हैं. साथ ही जीवन में हर प्रकार की समस्या से भी मुक्ति मिल जाती है. इसके अलावा इस दिन विधि पूर्वक हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. 

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हनुमान जी की आरती | Hanuman Aarti

आरती कीजै हनुमान लला की
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की

जाके बल से गिरिवर कांपै
रोग-दोष जाके निकट न झांपै

अंजनी पुत्र महा बलदाई
सन्तन के प्रेम सदा सहाई

दे बीरा रघुनाथ पठाये
लंका जारि सिया सुधि लाये

लंका सो कोट समुद्र सी खाई
जात पवनसुत बार न लाई

लंक जारि असुर संहारे
सिया रामजी के काज संवारे

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे
आनि सजीवन प्रान उबारे

पैठि पताल तोरि जम-कारे
अहिरावन की भुजा उखारे

बायें भुजा असुर दल मारे
दहिने भुजा सन्तजन तारे

सुर नर मुनि आरती उतारे
जै जै जै हनुमान उचारे

कंचन थार कपूर लौ छाई
आरती करत अंजना माई

जो हनुमान जी की आरती गावै
बसि बैकुंठ परम पद पावै

लंक विध्वंस किये रघुराई
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई

आरति कीजै हनुमान लला की
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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