Ashadh Amavasya 2021: आषाढ़ अमावस्या के दिन ये उपाय करने से होती है मां लक्ष्मी की कृपा

Ashadh Amavasya 2021: हिंदू धर्म में आषाढ़ अमावस्या (Ashadh Amavasya 2021) का विशेष महत्त्व है. इसे अषाढ़ी या हलहारिणी अमावस्या भी हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ ही कृषि यंत्रों की भी पूजा की जाती है.

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आषाढ़ अमावस्या के दिन ये उपाय करने से होती है मां लक्ष्मी की कृपा

Ashadh Amavasya 2021: हिंदू धर्म में आषाढ़ अमावस्या (Ashadh Amavasya 2021) का विशेष महत्त्व है. इसे अषाढ़ी या हलहारिणी अमावस्या भी हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ ही कृषि यंत्रों की भी पूजा की जाती है. साल 2021 में आषाढ़ अमावस्या 9 जुलाई दिन शुक्रवार को होगी. भारत के मौसम विभाग के अनुसार आषाढ़ मास के अंत में वर्षा ऋतु प्रारंभ होती है. इस लिए किसान आषाढ़ अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या के रूप में मनाते हैं. इस दिन ये किसान खेती से जुड़े यंत्रों जैसे हल आदि की पूजा करते हैं. इसके अलावा इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और पितरों के तर्पण का विधान है.

हलहारिणी अमावस्या का महत्व

सनातन धर्म में आषाढ़ मास का विशेष धार्मिक महत्व होता है. इस माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अमावस्या तिथि को आषाढ़ अमावस्या, आषाढ़ी अमावस्या और हलहारिणी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, यह अमावस्या तिथि पितरों के तर्पण के लिए बहुत अनुकूल मानी जाती है. कहा जाता है इस दिन पवित्र नदियों, कुंड तथा सरोवर में स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन लोग नदी, कुंड या सरोवर में स्नान करने के बाद दान करते हैं.

किसानों के लिए यह तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि हलहारिणी अमावस्या यानि आषाढ़ी अमावस्या पर हल पूजन का विधान है तथा उन सभी उपकरणों की पूजा की जाती है जिनका उपयोग खेती में किया जाता है. इस दिन किसान अच्छी फसल के लिए भगवान की पूजा करते हैं.

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यूं तो भूखों को भोजन कराना पुण्‍य का काम है ही लेकिन आषाढ़ी अमावस्‍या के दिन अगर भूखे लोगों को भोजन कराया जाए तो यह अत्‍यंत फलदायी होता है. मान्‍यता है कि ऐसा करने से जीवन की कई तरह की परेशानियां अपने आप खत्‍म हो जाती हैं. इसके अलावा अगर आषाढ़ी अमावस्या के दिन चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं तो भी मां लक्ष्‍मी की कृपा प्राप्‍त होती है.

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आषाढ़ मास की अमास्या की तिथि, शुभ मुहुर्त

9 जुलाई की सुबह 5 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर

10 जुलाई की सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी

अमावस्या का व्रत नियमानुसार 9 जुलाई को रखा जाएगा और व्रत का पारण 10 जुलाई को होगा.

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