Annakut Puja 2025: भगवान श्री कृष्ण को क्यों लगाया जाता है 56 भोग, जानें इससे जुड़ी कथा

Annakut Puja 2025 Chhappan Bhog Ki Katha: हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण को पूर्णावतार माना गया है. मान्यता है कि 64 कलाओं से युक्त भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर और कामनाएं पूरी होती हैं. कुछ ऐसी ही कामना लिए कान्हा के भक्त उन्हें अन्नकूट के दिन 56 प्रकार के भोग लगाते हैं. आखिर यह भोग भगवान श्रीकृष्ण को क्यों लगाया जाता है, जानने के लिए पढ़ें ये लेख. 

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Annakut Puja 2025:भगवान श्री कृष्ण के 56 भोग की कथा
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Bhagwan Krishna ko 56 bhog kyon lagaya jata hai: आज भगवान श्री कृष्ण और उनका स्वरूप माने जाने वाले गिरिराज जी महाराज की पूजा से जुड़ा गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का पर्व मनाया जा रहा है. कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा के दिन मनाए जाने वाले इस पावन पर्व का हिंदू धर्म में काफी महत्व माना गया है. मान्यता है कि गोवर्धन और अन्नकूट की पूजा करने पर भगवान श्री कृष्ण शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर आशीर्वाद बरसाते हैं. आज अन्नकूट के दिन भगवान श्री कृष्ण को 56 प्रकार के भोग लगाने की परंपरा है.आइए जानते हैं कि आखिर उन्हें इतनी संख्या में भोग क्यों लगाए जाते हैं. आइए इससे जुड़ी कथा को विस्तार से जानते हैं. 

अन्नकूट से जुड़ी 56 भोग की कथा

हिंदू मान्यता के अनुसार एक बार जब ब्रज के लोग इंद्र देवता की पूजा की तैयारी कर रहे थे तो भगवान श्री कृष्ण ने अपनी मां यशोदा से पूंछा कि आखिर ये पूजा क्यों की जाती है तो उन्होंने बताया कि इंद्र देवता की कृपा से ही गाय और खेती की वृद्धि होती है. इस पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि यह इंद्र देवता की वजह से नहीं बल्कि गोवर्धन पर्वत की वजह से होता है. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने सभी को इंद्र की बजाय गोवर्धन देवता की पूजा करने के लिए कहा. 

तब कृष्ण ने कनिष्ठिका अंगुली पर उठा लिया गोवर्धन पर्वत 

जब यह बात इंद्र देवता को मालूम हुई तो वे कुपित हो गये और ब्रजमंडल पर जम कर वर्षा करवाने लगे. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया. इसके बाद सभी ग्वाल-बाल और पशु-पक्षी उसके नीचे आ गये. मान्यता है कि उन्होंने गोवर्धन पर्वत को सात दिनों बाद तब नीचे रखा जब इंद्र देवता का अभिमान दूर हो गया. 

सात दिनों के हिसाब से लगाया गया 56 प्रकार का भोग 

मान्यता है कि इन सात दिनों में भगवान श्रीकृष्ण ने कुछ भी नहीं खाया. इसके बाद ब्रजवासियों ने 56 प्रकार का भोग इसलिए बनाकर खिलाया. क्योंकि एक दिन में आठ प्रहर होते हैं और पूरे सात दिनों तक भूखे रहे. इस प्रकार सात से आठ को गुणा करने पर 56 की संख्या प्राप्त होती है. तब से लेकर आज तक कान्हा को प्रसन्न और संतुष्ट करने के लिए हर साल गोवर्धन पूजा के दिन 56 प्रकार का भोग लगाया जाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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