Angarki Chaturthi 2021 : आज है अंगारकी संकष्टी चतुर्थी, जानें क्या है इसका महत्व और व्रत-पूजन विधि

Sankashti Chaturthi July 2021 : संकष्टी चतुर्थी का मंगलवार को आना ही बड़ा अच्छा संयोग माना जाता है. प्राचीन कथा है कि जब पार्वती जी के अनुरोध पर शिवजी ने गणपति को नया मुख लगवाया तो उनका नाम गजानन रखा गया. उसके बाद से ही चतुर्थी व्रत की परंपरा शुरू हुई.

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angaraki sankashti chaturthi : चतुर्थी पर भगवान गणेश की आराधना करने पर सारे संकट दूर होते हैं.
नई दिल्‍ली:

Angarika Sankashti 2021: कृष्ण पक्ष में जो चतुर्थी आती है वो संकष्टी चतुर्थी कहलाती है. कुछ महीनों में ऐसे संयोग भी बनते हैं जब कृष्ण पक्ष की चतुर्थी मंगलवार को होती है. इसे ही अंगारकी संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस बार ये चतुर्थी सावन मास में आज पड़ रही है. जैसा कि तिथि के नाम से ही स्पष्ट होता है कि ये चतुर्थी है. जिसका नाता हमेशा भगवान गणेश से होता है. माना जाता है कि चतुर्थी पर भगवान गणेश की आराधना करने और विधि विधान से व्रत करने पर सारे संकट दूर होते हैं.

जब यही चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है तो इसमें मंगल देव का आशीर्वाद भी जुड़ जाता है. अंगारकी संकष्टी चतुर्थी की मान्यता यही है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने वालों का मंगल ही मंगल होता है. पर विशेषरूप से इस दिन की पूजा पाठ संतान की लंबी आयु के लिए भी होती है. इस खास तिथि का महत्व समझने से पहले ये जान लीजिए कि इस दिन किन खास नियमों का पालन किया जाना चाहिए.

अंगारकी संकष्टी चतुर्थी की पूजा

-    हर व्रत-त्यौहार की तरह इस पूजा के लिए भी सुबह सबसे पहले स्नान करें.

-    साफ सुथरे कपड़े पहनें.

-    याद रखें पूजा करते समय आपका मुख उत्तर की तरफ हो तो उत्तम या पूर्व की तरफ भी रख सकते हैं.

-    साफ आसान पर बैठ कर पूजा अर्चना शुरू करें.

-    गणपतिजी को दुर्वा अतिप्रिय है इसलिए पूजा करते समय उन्हें दुर्वा जरूर चढ़ाएं.

-    ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपते नमः- इनमें से किसी भी एक मंत्र का जाप करें.

-    शाम को व्रत कथा पढ़ने के बाद ही व्रत खोलें.

अंगारकी संकष्टी चतुर्थी का महत्व

गणपति पूजन में इस चतुर्थी का खास महत्व है. वैसे तो ऐसे चतुर्थी का मंगलवार को आना ही बड़ा अच्छा संयोग माना जाता है. इस संबंध में अलग अलग कथाएं भी प्रचलित हैं. संतान की लंबी आयु के लिए इस दिन व्रत किया जाता है. प्राचीन कथा है कि जब पार्वती जी के अनुरोध पर शिवजी ने गणपति को नया मुख लगवाया तो उनका नाम गजानन रखा गया. उसके बाद से ही चतुर्थी व्रत की परंपरा शुरू हुई. संतान की लंबी और स्वस्थ आयु के लिए माताएं ये व्रत करती हैं.

पर अंगारकी संकष्टी चतुर्थी के लिए एक अलग कथा भी कही जाता है. मान्यता है कि मंगल देव ने भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए कठिन तप किया. जिससे प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने उन्हें दर्शन दिए. और ये वरदान दिया कि जो भी मंगलवार के दिन पड़ने वाली चतुर्थी पर उनका पूजन अर्चन करेगा. भगवान गणेश उसकी सारी बाधाएं दूर करेंगे और उसकी सारी मनोकामनाएं भी पूरी करेंगे.

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