Anant Chaturdashi 2021 : जान लें कब है अनंत चतुर्दशी, यह है पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Anant Chaturdashi : धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन अनंत सूत्र को बांधने और व्रत रखने से कई तरह की बाधाओं से मुक्ति मिलती है. अनंत चतुर्दशी का दिन का भगवान विष्‍णु के लिए ही मनाया जाता है. भक्‍त इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. वहीं ऐसी धारणा है कि सच्‍चे मन से की कई पूजा से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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मान्‍यता है कि भगवान विष्णु का प्रिय रंग पीला है. इसी कारण भक्‍त उन्‍हें पीले रंग का फूल चढ़़ाते हैं.
नई दिल्‍ली:

Anant Chaturdashi : अनंत चतुर्दशी इस साल 19 सितंबर को मनाई जाएगी. दरअसल पंचांग के मुताबिक अंनत चतुर्दशी का व्रत भादो मास की शुक्‍स पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है. कई लोग इस दिन को अनंत चौदस के नाम से भी जानते हैं. वैसे धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन अनंत सूत्र को बांधने और व्रत रखने से कई तरह की बाधाओं से मुक्ति मिलती है. अनंत चतुर्दशी का दिन का भगवान विष्‍णु के लिए ही मनाया जाता है. भक्‍त इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. वहीं ऐसी धारणा है कि सच्‍चे मन से की कई पूजा से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है. अगर भक्‍त व्रत का लाभ लेना चाहते हैं, तो उन्‍हें व्रत के नियमों और संयम का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए. वहीं मान्‍यता के मुताबिक अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने से घर में पॉजिटिव ऊर्जा का संचार होता है और भक्‍तों के जीवन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं.

अनंत चतुर्दशी का महत्‍व (importance of Anant Chaturdashi)

पूरे देश में अनंत चतुर्दशी का त्‍योहार बहुत ही आस्‍था के साथ मनाया जाता है. वहीं, भक्‍तों में इस व्रत का विशेष महत्‍व है. अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश भगवान का भी विसर्जन किया जाता है. मुंबई में तो विशेषतौर पर गणपति विसर्जन का आयोजन होता है. इसी कारण अनंत चतुर्दशी के इस पर्व का खास महत्‍व है. अगर अनंत चतुर्दशी के शुभ मुहूत की बात करें तो इस बार शुभ मुहूर्त 19 सितंबर 2021 सुबह 6 बजकर 07 मिनट से शुरू होगा जोकि अगले दिन यानी 20 सितंबर 2021 को सुबह 5 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. वहीं इस पर्व के शुभ मुहूर्त की अवधि 23 घंटे और 22 मिनट रहेगी.

पूजा की विधि (pooja vidhi )

पुरानी मान्‍यता के अनुसार अनुसार महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत मनाया जा रहा है. जो भक्‍त व्रत रखते हैं उन्‍हें व्रत रखने से पहले सुबह स्नान करने के बाद पूजाघर को साफ करने के बाद ही पूजा आरंभ करनी चाहिए. अपने पूजास्‍थल पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें. उसके बाद भगवन विष्णु की पूजा शुरू करें. पूजा की थाली में पीले फूल, मिठाई, ज्‍योत बत्‍ती वगैरह रखने के बाद भगवना स्‍मरण करें. मान्‍यता है कि भगवान विष्णु का प्रिय रंग पीला है. इसी कारण भक्‍त उन्‍हें पीले रंग का फूल चढ़़ाते हैं. वहीं, भगवन को अनंत सूत्र अर्पित करें. इसके बाद उस रक्षा सूत्र को भक्‍त स्‍वयं धारण करें, मान्‍यता के अनुसार.

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