$4 ट्रिलियन डॉलर= क्या क्या, मंदी के कितने करीब अमेरिका?

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, S&P 500 में इस साल की सबसे बड़ी गिरावट थी.  इस गिरावट का मुख्य कारण राष्ट्रपति ट्रंप की व्यापार नीतियां मानी जा रही हैं.

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नई दिल्ली:

अमेरिकी शेयर बाजार में ऐसा तूफान आया कि पूरी दुनिया हक्की-बक्की रह गई. एक ही दिन में $4 ट्रिलियन यानी 340 लाख करोड़ रुपये धूल में मिल गए, और वॉल स्ट्रीट पर कोहराम मच गया. S&P 500 में 8.6% की भयानक गिरावट ने निवेशकों के होश उड़ा दिए, जबकि नैस्डैक 4% नीचे लुढ़क गया.  यह नुकसान इतना बड़ा था कि ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और मैक्सिको की पूरी अर्थव्यवस्थाएं इसके सामने बौनी नजर आएं.  क्या यह सिर्फ एक दिन का झटका था, या दुनिया की सबसे ताकतवर अर्थव्यवस्था मंदी के काले भंवर में फंसने वाली है?

जानकारों का मानना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ बम और उनके रहस्यमयी बयानों ने आग में घी डाल दिया है. टेस्ला से लेकर ऐपल तक, दिग्गज कंपनियां घुटनों पर आ गईं, और निवेशकों में दहशत फैल गई.  आइए जानते हैं अमेरिकी अर्थव्यवस्था में हुआ यह नुकसान कितना बड़ा है और इसके क्या प्रभाव पड़ेंगे क्या अमेरिका में आर्थिक मंदी की शुरुआत हो गई है?

एक दिन में $4 ट्रिलियन का नुकसान: क्या हुआ?
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, S&P 500 में इस साल की सबसे बड़ी गिरावट थी.  इस गिरावट का मुख्य कारण राष्ट्रपति ट्रंप की व्यापार नीतियां मानी जा रही हैं. ट्रंप ने हाल ही में कनाडा, मैक्सिको और चीन से आयात पर भारी शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा की थी, जिसके बाद यूरोपीय संघ पर भी 25% टैरिफ की धमकी दी थी. इन नीतियों ने निवेशकों में अनिश्चितता पैदा कर दी, जिसके चलते बाजार में बिकवाली शुरू हो गई. टेस्ला जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों ने एक ही दिन में $125 बिलियन का नुकसान झेला, जबकि ऐपल और एनवीडिया के शेयरों में भी 5% की गिरावट देखी गई. डेल्टा एयरलाइंस जैसे अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. 

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अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगातार नुकसान
पिछले कुछ महीनों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कई चेतावनी संकेत दिखाई दिए हैं. फरवरी 2025 में कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स, जो उपभोक्ताओं के आर्थिक दृष्टिकोण को मापता है, सात अंकों की गिरावट के साथ 98.3 पर आ गया. यह स्तर 80 से नीचे आने पर मंदी का संकेत माना जाता है. न्यूजवीक की एक रिपोर्ट के अनुसार, अटलांटा फेडरल रिजर्व का GDPNow मॉडल, जो वास्तविक समय में आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाता है, मार्च की शुरुआत में 2025 की पहली तिमाही के लिए -2.8% की गिरावट का संकेत दे रहा था. यह पिछले महीने के 2.5% वृद्धि के अनुमान से एक बड़ा उलटफेर था.

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फॉक्स बिजनेस की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2025 में ट्रंप प्रशासन ने लगभग 38,000 अवैध प्रवासियों को निर्वासित किया, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है. अर्थशास्त्री हैरी डेंट ने चेतावनी दी थी कि यह कदम सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 1-1.5% की कमी ला सकता है, जो मंदी को और करीब ले जा सकता है. इसके साथ ही, ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने पिछले कुछ हफ्तों में बाजार में अस्थिरता को बढ़ाया है.

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अर्थशास्त्रियों का क्या कहना है?
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका पर अर्थशास्त्रियों के विचार बंटे हुए हैं. सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार बेरेनबर्ग बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री होल्गर श्मीडिंग का मानना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था अभी भी लचीली है और तत्काल मंदी का जोखिम नहीं है. 

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  • वहीं, न्यूजवीक में मूडीज एनालिटिक्स के मुख्य अर्थशास्त्री मार्क जांडी ने चेतावनी दी कि टैरिफ युद्ध, सरकारी नौकरियों में कटौती, और निर्वासन जैसे कदम अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दे सकते हैं. 
  • कैपिटल इकोनॉमिक्स के मुख्य उत्तरी अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल ऐशवर्थ हालांकि हालात को लेकर बेहद पॉजिटिव हैं. उन्होंने कहा है कि पहली तिमाही में GDP में संकुचन के बाद दूसरी तिमाही में 4.5% की वृद्धि हो सकती है. लेकिन रॉयटर्स के हवाले से KPMG की मुख्य अर्थशास्त्री डायने स्वॉन्क ने कहा कि मांग में कमी और निवेश में अनिश्चितता अगले साल की शुरुआत तक मंदी ला सकती है.

अमेरिका में गिरावट का भारत में क्या होगा असर? 
अमेरिका अर्थव्यवस्था में गिरावट का भारत पर सीधा और अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है. इंडिया टुडे के अनुसार, ट्रंप की टैरिफ नीतियों से वैश्विक व्यापार में अस्थिरता बढ़ी है, जिसका असर भारत जैसे निर्यात-निर्भर देशों पर पड़ सकता है. भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार है, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स, और वस्त्र जैसे क्षेत्र शामिल हैं. अगर अमेरिकी मांग कम होती है, तो भारतीय निर्यात प्रभावित हो सकता है.

अगर अमेरिका मंदी में जाता है, तो वैश्विक मांग में कमी से भारत की GDP वृद्धि पर असर पड़ सकता है, जो वर्तमान में 6-7% के आसपास है. भारतीय शेयर बाजार, जो वैश्विक संकेतों पर निर्भर करता है, पहले ही हाल के दिनों में अस्थिरता का शिकार हो चुका है.

 $4 ट्रिलियन का नुकसान: कितना बड़ा है यह झटका?
$4 ट्रिलियन का यह नुकसान कई देशों की कुल GDP से बड़ा है. विश्व बैंक के 2023 के आंकड़ों के आधार पर, यह ऑस्ट्रेलिया ($1.7 ट्रिलियन), दक्षिण कोरिया ($1.7 ट्रिलियन), और मैक्सिको ($1.8 ट्रिलियन) की संयुक्त अर्थव्यवस्थाओं से अधिक है. एक दिन में इतना बड़ा नुकसान वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका है. अमेरिकी अर्थव्यवस्था इस समय एक नाजुक मोड़ पर खड़ी है. $4 ट्रिलियन का नुकसान, टैरिफ युद्ध, और ट्रंप की नीतियों ने मंदी की आशंका को बढ़ा दिया है.

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