बादलों के ऊपर, पहाड़ों के बीच... एफिल टावर से भी ऊंचा चिनाब ब्रिज कैसे बना? जानिए यहां

Chenab bridge facts : यह पुल सिर्फ लोहा और कंक्रीट का ढांचा नहीं है, बल्कि यह भारतीय इंजीनियरिंग की हिम्मत और काबिलियत की एक मिसाल है. लेकिन इसे बनाना किसी सपने को सच करने जैसा था, जिसमें कई मुश्किलें आईं और करीब 20 साल से ज्यादा का वक्त लग गया.

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world's highest railway bridge : चिनाब ब्रिज बनाने की मंजूरी 2003 में मिली.

Chenab Bridge : क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल कब, कहां और कैसे बना. इसे पूरा होने में कितने साल लगे और बनाने में कितना खर्च आया. अगर नहीं, तो इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे चिनाब ब्रिज बनने की पूरी कहानी (How Chenab Bridge was built and completed). कैसे यह शानदार कंस्ट्रक्शन कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से कनेक्ट करने वाला सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज (Chenab Bridge Completion Story) बना और इसे बनाने के दौरान किस तरह की चुनौतियां आईं...

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चिनाब ब्रिज प्रोजेक्ट की शुरुआत कब हुई

कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से कनेक्ट करने के लिए साल 1997 में उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई. इस प्रोजेक्ट का सबसे अहम हिस्सा चिनाब ब्रिज था. 1983 में इंदिरा गांधी ने जम्मू-उधमपुर रेलवे लाइन की नींव रखी थी. पांच साल में 53 किलोमीटर की ये लाइन बननी थी, लेकिन इसे पूरा होने में करीब 22 साल लग गए और कुल 515 करोड़ रुपए खर्च हुए. इसके बाद 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने USBRL प्रोजेक्ट की शुरुआत की. इस परियोजना का शुरुआती बजट 2,500 करोड़ रुपए था, जो अब तक बढ़कर करीब 42,930 करोड़ रुपए हो गया. 

चिनाब पुल बनाने में कितने साल लगे

चिनाब ब्रिज बनाने की मंजूरी 2003 में मिली. शुरुआती योजना के अनुसार, इसे साल 2009 तक ही बनकर तैयार हो जाना था, लेकिन भौगोलिक कठिनाईयों, डिजाइन रिव्यू और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों ने प्रोजेक्ट को 22 साल लंबा बना दिया. 2010 में इसे बनाने का काम शुरू हुआ. अगस्त 2022 में पुल का निर्माण पूरा हुआ. फरवरी 2023 में ट्रैक बिछाने का काम शुरू हुआ और 20 जून 2024 को संगलदान से रियासी स्टेशन तक पहली बार ट्रेन का ट्रायल रन किया गया.

चिनाब ब्रिज बनाने में कितना खर्च आया

चिनाब ब्रिज सिर्फ एक पुल नहीं है, बल्कि दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है. इसे बनाने में कुल 1,486 करोड़ रुपये खर्च हुए. 272 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन में 36 सुरंगें, 943 पुल और 12.77 किलोमीटर लंबी T-50 टनल शामिल हैं, जो देश की सबसे लंबी ट्रांसपोर्ट टनल है. 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने PRAGATI पहल के तहत इस प्रोजेक्ट की निगरानी की. फंडिंग सुनिश्चित की और काम की गति तेज की.

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