पहली बार स्कूल शिक्षकों की संख्या ने 1 करोड़ का आंकड़ा किया पार: शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट

India Education Report : मंत्रालय ने इस वृद्धि को "स्कूली शिक्षा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि" बताया और कहा कि यह छात्र-शिक्षक अनुपात को सीधे तौर पर मजबूत करता है.

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Education Ministry Report: रिपोर्ट की सबसे अहम बात यह है कि स्कूल छोड़ने वाले बच्चों (ड्रॉपआउट रेट) की संख्या में सभी स्तरों पर ऐतिहासिक कमी आई है.

Education ministry report : शिक्षा मंत्रालय की यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+) 2024–25 रिपोर्ट के अनुसार, देश में पहली बार स्कूल शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ का आंकड़ा पार कर गई है. यह आंकड़ा अब 1.01 करोड़ तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के 98 लाख से कहीं ज्यादा है. मंत्रालय ने इसे "स्कूल शिक्षा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि" बताया है.

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रिपोर्ट के अनुसार शिक्षकों की संख्या बढ़ने से छात्र-शिक्षक अनुपात (Pupil-Teacher Ratio – PTR) में जबरदस्त सुधार हुआ है. अब प्राथमिक स्तर पर 10, प्रारंभिक स्तर पर 13, मध्य स्तर पर 17 और माध्यमिक स्तर पर 21 छात्र प्रति शिक्षक का रेशियो है. ये सभी आंकड़े राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) द्वारा अनुशंसित 30:1 के अनुपात से काफी बेहतर हैं, जिससे बच्चों को बेहतर व्यक्तिगत ध्यान मिल सकेगा.

पुरुषों से ज्यादा महिला टीचर

इस रिपोर्ट से एक और खास निकल कर आई है, देश में अब महिला शिक्षकों की संख्या पुरुष शिक्षकों से कहीं ज्यादा हो गई है. 2014 से अब तक भर्ती हुए 51.36 लाख शिक्षकों में से 61% महिलाएं हैं. वर्तमान में, 54.81 लाख महिला शिक्षक हैं, जबकि पुरुष शिक्षकों की संख्या 46.41 लाख है.

ड्रॉपआउट में भी आई रिकॉर्ड कमी

रिपोर्ट की सबसे अहम बात यह है कि स्कूल छोड़ने वाले बच्चों (ड्रॉपआउट रेट) की संख्या में सभी स्तरों पर ऐतिहासिक कमी आई है. प्रारंभिक स्तर पर ड्रॉपआउट 3.7% से घटकर 2.3%, मध्य स्तर पर 5.2% से 3.5% और माध्यमिक स्तर पर 10.9% से 8.2% पर आ गया है.इसके साथ ही, बच्चों का स्कूल में रुकने (रिटेंशन) का प्रतिशत भी बढ़ा है. प्रारंभिक स्तर पर यह 85.4% से बढ़कर 92.4% और माध्यमिक स्तर पर 45.6% से 47.2% हो गया है.

बुनियादी सुविधाओं और डिजिटल पहुंच में हुआ सुधार

स्कूलों में बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है. 99.3% स्कूलों में पीने का पानी, 93.6% में बिजली और 97.3% में लड़कियों के लिए शौचालय उपलब्ध हैं. डिजिटल पहुंच भी बढ़ी है, अब 64.7% स्कूलों में कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्टिविटी भी पिछले साल के 53.9 प्रतिशत से लगभग 10 प्रतिशत से  बढ़कर इस साल 63.5 प्रतिशत हो गई है. 

मंत्रालय ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में "शिक्षकों की संख्या बढ़ाने से लेकर बच्चों को स्कूल में बनाए रखने और अधिक न्यायसंगत, समावेशी परिसरों के निर्माण" तक, लक्षित हस्तक्षेपों के प्रभाव को रेखांकित करते हैं.

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