आखिर क्यों भारत ने एक के बदले पाकिस्तान को दिए 12 गांव, जानिए यहां वजह...

Hussainiwala ka etihas: हर शाम हुसैनीवाला बॉर्डर पर भारत और पाकिस्तान के जवान कदम से कदम मिलाकर राष्ट्रीय ध्वज को उतारते हैं. 1962 में भारत ने पाकिस्तान को 12 गांव देकर इसे हासिल किया. इतिहास, देशभक्ति और रोमांच यहां सब कुछ एक साथ देखने को मिलता है.

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Hussainiwala Itihas : यह गांव शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की भूमि है.

Hussainiwala border history : पूरा देश आज 15 अगस्त 2025 यानी 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. देशभर में आजादी का जश्न और खुशियों का माहौल है. कई ऐसी कहानियां हैं, जो भारत की आजादी को बेहद खास बनाती हैं. ऐसी ही एक कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जो इतिहास और देशभक्ति (Historical Significance of Hussainiwala Border) से जुड़ी है. यह कहानी (Hussainiwala Border Story in Hindi) है हुसैनीवाला बॉर्डर और 1962 में हुए उस फैसले की, जिसमें भारत ने 1 गांव के लिए पाकिस्तान को 12 गांव दिए (India Gave 12 villages to Pakistan Story and History) थे. जी हां, आज के इस लेख में हम उसी गांव की दिलचस्प कहानी आगे आर्टिकल में बताने जा रहे हैं...

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हुसैनीवाला कहां है, क्यों खास है - Where is Husainiwala and Why it Special

पंजाब के फिरोजपुर से करीब 11 किलोमीटर दूर हुसैनीवाला बॉर्डर पर है. हर शाम यहां एक अनोखी रिट्रीट सेरेमनी होती है. BSF के जवान कदम से कदम मिलाकर मार्च करते हैं और अपने राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान के साथ उतारते हैं. पाकिस्तान की ओर भी रेंजर्स ऐसा ही करते हैं. यह नजारा सिर्फ समारोह नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच शांति और अनुशासन का प्रतीक है.

भारत ने पाकिस्तान से 12 गांव के बदले 1 गांव क्यों लिए - Husainiwala History

1962 तक हुसैनीवाला क्षेत्र पाकिस्तान के पास था. तब भारत ने 12 गांव पाकिस्तान को दे दिए और बदले में इस गांव को हासिल किया. क्योंकि यह शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की भूमि है. 1970 में तत्कालीन बीएसएफ महानिरीक्षक अश्विनी कुमार शर्मा ने साझा रिट्रीट सेरेमनी का प्रस्ताव रखा. तब से यह परंपरा हर शाम जारी है.

शहीदों की याद और इतिहास - Land of Martyrs

हुसैनीवाला बॉर्डर शहीदों के स्मारक से सिर्फ 1 किलोमीटर दूर है. यह भूमि शहीदों की याद में बेहद खास है. भारत ने 12 गांव देकर यह सुनिश्चित किया कि शहीदों की धरती हमेशा भारतीय हाथों में रहे. यह फैसला आज भी इतिहास में मिसाल के रूप में याद किया जाता है.

हुसैनीवाला का शाम का नजारा दिल को छू जाता है - Husainiwala Evening View

सूर्यास्त होते ही बॉर्डर पर देशभक्ति गीत बजते हैं. सैनिक अपने बूटों की गूंज के साथ कदमताल करते हैं. झंडे फहरते हैं और माहौल रोमांचक बन जाता है. हर टूरिस्ट और भारतीय यहां आकर खुद को स्पेशल ही महसूस करता है.

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हुसैनीवाला बॉर्डर कैसे पहुंचे - How to Reach Hussainiwala Border

अगर आप हुसैनीवाला जाना चाहते हैं और फ्लाइट से प्लान कर रहे हैं तो अमृतसर एयरपोर्ट से हुसैनीवाला बॉर्डर की दूरी लगभग 124 किलोमीटर है. वहीं, चंडीगढ़ एयरपोर्ट से यह 242 किलोमीटर दूर है. दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इस जगह की दूरी 428 किमी है. ट्रेन से जाना चाहते हैं तो फिरोजपुर कैंट रेलवे स्टेशन तक पहुंच सकते हैं, जो बॉर्डर से सिर्फ 13 किलोमीटर दूर है. अगर आप अपनी गाड़ी या सड़क से जाना चाहते हैं तो फिरोजपुर सिटी बस स्टैंड से 10.5 किमी और कैंट जनरल बस स्टैंड से करीब 12.4 किलोमीटर सफर करके हुसैनीवाला बॉर्डर आसानी से पहुंच सकते हैं.

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