Maternity leave act in India : एक महिला के लिए मां बनना पुनर्जन्म के बराबर होता है. 9 महीने गर्भ में बच्चे को रखना और फिर उसे दुनिया में लाना बड़ी चुनौती होता है. इस दौरान एक स्त्री अलग-अलग स्थितियों से गुजरती है. शारीरिक और मानसिक तौर पर कई तरह के बदलावों से उसे गुजरना पड़ता है. ऐसे में उसे इमोशनल सपोर्ट की बहुत जरूरत है. और अगर महिला वर्किंग हो तो फिर उसके लिए गर्भवास्था और चुनौतीपूर्ण बन जाती होती है. ऐसे में महिला कर्मचारियों के लिए हर संगठन में प्रगतिशील कार्य संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए 26 सप्ताह की मैटरनिटी लीव दी जाती है. जो एक वर्किंग वूमन को व्यक्तिगत तौर पर, स्वस्थ कार्य-जीवन संतुलन बनाए रखने में मदद करता है. महिलाओं को मैटरनिटी लीव देने का प्रावधान भारत सरकार ने कब लागू किया और तीसरे बच्चे के जन्म पर कितने दिन की छुट्टी मिलती है आज के इस आर्टिकल में हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं.
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क्या है मातृत्व लाभ अधिनियम (Maternity Benefit Act )
साल 1961 में, भारत सरकार ने महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व लाभ अधिनियम लागू किया. जिसके तहत, प्रसव के बाद कोई भी महिला 12 सप्ताह तक वेतन के साथ मैटरनिटी लीव ले सकती थी. हालांकि तब वर्किंग वूमेन्स की संख्या बहुत कम थी. लेकिन समय के साथ महिला कर्मचारियों की संख्या बढ़ने लगी. जिसको ध्यान में रखते हुए भारत सरका ने साल 2017 में मातृत्व लाभ अधिनियम (Maternity Benefit Act) में संशोधन किया, जिसमें पहले दो बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश को 12 से बढ़ाकर सवेतन 26 सप्ताह कर दिया गया.
कब से मैटेरनिटी लीव ले सकती हैं - When can I take maternity leave
- मातृत्व अवकाश के लिए आपको अपनी तय तारीख से पहले के 12 महीनों में कम से कम 80 दिन काम करना होगा. इसके बाद आप मैटरनिटी लीव के लिए पात्र हैं.
- महिलाएं अपनी एक्सपेक्टेड डिलीवरी डेट के 8 सप्ताह पहले मैटेरनिटी लीव ले सकती हैं. ये छुट्टियां आपके 26 हफ़्तों के सवेतन मातृत्व अवकाश से काट ली जाएंगी.
- वहीं, अगर किसी महिला का गर्भपात हो जाता है तो फिर वह गर्भपात वाले दिन से सवेतन 6 सप्ताह तक अवकाश ले सकती है.
- आपको बता दें कि यह नियम गैर सरकारी और सरकारी दोनों संगठनों में समान रूप से लागू होता है.
मैटेरनिटी लीव की अन्य महत्वपूर्ण बातें - Other important things about maternity leave
- 3 महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लेने वाली माताओं के लिए 12 सप्ताह की मैटरनिटी लीव देने तय हुआ है.
- वहीं, सरोगेसी (कमीशनिंग मदर) मदर को बच्चे को प्राप्त करने की तारीख से 12 सप्ताह की मैटरनिटी लीव दी जाती है.
- इसके अलावा महिला कर्मचारी को मातृत्व अवकाश के दौरान पूरा वेतन दिया जाता है, इसमें किसी तरह की कटौती नहीं की जाती है.
तीसरे बच्चे के लिए कितने सप्ताह की है मैटेरनिटी लीव
भारत में तीसरे के बच्चे के जन्म पर महिलाओं को वेतन के साथ 12 सप्ताह की छुट्टी देने का प्रावधान है.
मैटरनिटी लीव का उद्देश्य
1. मैटरनिटी लीव इसलिए दी जाती है ताकि गर्भावस्था और प्रसव के दौरान महिला कर्मचारियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा हो सके.
2. यह छुट्टी महिला कर्मचारियों को अपने नवजात शिशु की देखभाल करने और उसे स्तनपान कराने का अवसर प्रदान करती है.
3. महिला कर्मचारियों को वर्क बैलेंस बनाए रखने में मदद करता है, जिससे वे अपने परिवार और कार्य दोनों को संभाल सकें.
4.महिला कर्मचारियों को अपने अधिकारों और हितों की रक्षा करने में मदद करना, जिससे वे अपने जीवन में आगे बढ़ सकें.