Faiz ki Shayri: फ़ैज़ एक रूमानी शायर थे, उनका स्वभाव बेहद ही रूमानियत भरा था. उनकी शायरी दुनिया भर में पसंद की जाती है. उनकी शायरी में कई उर्दू, अंग्रेज़ी शायरों की गूंज सुनाई देती है. फ़ैज़ ने जिंदगी को अपने लफ्जों में कुछ इस तरह पिरोया है कि दिल को छू जाती है. फ़ैज़ की शायरी इंटरनेशनल लेवल पर छाई रहती है. पढ़िए उनकी फेमस और दिल छू लेने वाली शायरी.
आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
इस के बाद आए जो अज़ाब आए
है वही बात यूँ भी और यूँ भी
तुम सितम या करम की बात करो
अब के ख़िज़ाँ ऐसी ठहरी
अब के ख़िज़ाँ ऐसी ठहरी वो सारे ज़माने भूल गए
जब मौसम-ए-गुल हर फेरे में आ आ के दोबारा गुज़रे था
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी
सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी
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कब तक दिल की ख़ैर मनाएँ
कब तक दिल की ख़ैर मनाएँ कब तक रह दिखलाओगे
कब तक चैन की मोहलत दोगे कब तक याद न आओगे
गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसा
गर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी मात नहीं