गुड़गांव:
हरियाणा के रेवाड़ी के गोथड़ा टप्पा गांव के बाद दिल्ली से सटे गुड़गांव के कादरपुर गांव के लगभग 170 बच्चों ने शुक्रवार को अपने राजकीय हाई स्कूल के सामने धरना दे दिया. ख़ासकर लड़कियों की मांग थी कि स्कूल को 12वीं तक बढ़ाया जाए ताकि उन्हें 10वीं के बाद पढ़ाई करने गांव से 10 किलोमीटर दूर बादशाहपुर ना जाना पड़े. क़रीब 8 घंटे तक चला धरना तब ख़त्म हुआ जब स्थानीय विधायक ने आश्वासन दिया कि गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूल को 12वीं तक बढ़ा दिया जाएगा. दिन के समय लगभग 43 डिग्री तापमान में धरने पर बैठी राजकीय विद्यालय कादरपुर की छात्रा आरती का कहना है कि "मैं 10वीं मे पढ़ती हूं, 10वीं के बाद हममें से ज़्यादातर के मां-बाप हमें बादशाहपुर पढ़ने नहीं भेजेंगे क्योंकि रास्ते में लड़के छेड़ते हैं. ये पढ़ाई की इच्छा और रेवाड़ी की प्रेरणा है जो कादरपुर तक चली आई.
10वीं में पढ़ने वाली आरती अपने लगभग 170 साथियों के साथ स्कूल के सामने धरने पर बैठ गई. इनकी मांग है कि इनके 10वीं तक के स्कूल को 12वीं तक बढ़ाया जाए गांव में चौबीस घंटे पैसे निकालने के लिए एटीएम आ गया है, लेकिन दसवीं से आगे पढ़ाई के लिए 10 किलोमीटर दूर बादशाहपुर जाना पड़ता है.
बच्चे गर्मी में तब तक धरने पर बैठे रहे जब तक स्थानीय विधायक और अधिकारियों से उन्हें गर्मियों की छुट्टियों के बाद स्कूल को 12वीं तक बढ़ा देने का आश्वास नहीं मिल गया. विधायक सोहना तेजपाल तंवर ने बताया कि "मेरी सीएम और शिक्षा मंत्री से बात हो गई है, स्कूल को 12वीं तक बढ़ा दिया जाएगा, स्कूल में बच्चों को कोई समस्या नहीं होगी, हमने गांव वालों को भी आश्वासन दिया है.' बच्चे फ़ौरी तौर मान तो गए हैं लेकिन सरकार को सोचना चाहिए कि क्यों बच्चों को अपने ही अधिकार पाने के लिए धरने पर बैठना पड़ता है?
10वीं में पढ़ने वाली आरती अपने लगभग 170 साथियों के साथ स्कूल के सामने धरने पर बैठ गई. इनकी मांग है कि इनके 10वीं तक के स्कूल को 12वीं तक बढ़ाया जाए गांव में चौबीस घंटे पैसे निकालने के लिए एटीएम आ गया है, लेकिन दसवीं से आगे पढ़ाई के लिए 10 किलोमीटर दूर बादशाहपुर जाना पड़ता है.
बच्चे गर्मी में तब तक धरने पर बैठे रहे जब तक स्थानीय विधायक और अधिकारियों से उन्हें गर्मियों की छुट्टियों के बाद स्कूल को 12वीं तक बढ़ा देने का आश्वास नहीं मिल गया. विधायक सोहना तेजपाल तंवर ने बताया कि "मेरी सीएम और शिक्षा मंत्री से बात हो गई है, स्कूल को 12वीं तक बढ़ा दिया जाएगा, स्कूल में बच्चों को कोई समस्या नहीं होगी, हमने गांव वालों को भी आश्वासन दिया है.' बच्चे फ़ौरी तौर मान तो गए हैं लेकिन सरकार को सोचना चाहिए कि क्यों बच्चों को अपने ही अधिकार पाने के लिए धरने पर बैठना पड़ता है?
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