नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने गुरुवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि आयोग ने अब तक सार्वजनिक क्षेत्र की 34 'बीमार' इकाइयों में रणनीतिक विनिवेश की सिफारिश की है. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने आयोग से सार्वजनिक क्षेत्र की खस्ताहाल कंपनियों की स्थिति पर गौर करने को कहा था. कांत ने यहां क्रिसिल इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर सम्मेलन में कहा, ‘हमने सार्वजनिक क्षेत्र के 34 रुग्ण उपक्रमों में विनिवेश की सिफारिश की है.’ सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी का विनिवेश करने के जरिये 72,500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.
कांत ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिये बीमा और पेंशन कोष का उपयोग करने और परियोजनाओं को व्यवहारिक बनाने के लिये जरूरी वित्तीय सहायता अथवा वित्त पोषण व्यवस्था का फिर से पुनरीक्षण करने पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि लंबे समय से कम निवेश के कारण बुनियादी ढांचा क्षेत्र प्रभावित हुआ है. कांत ने कहा, ‘हमें बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश के लिए पेंशन और बीमा कोष के उपयोग को लेकर माहौल बनाने की जरूरत है.
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परियोजनाओं को व्यवहारिक बनाने को लेकर वित्त पोषण (वीजीएफ) योजना का पूरी तरह से पुनरीक्षण किए जाने की आवश्यकता है.’ उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में सरकार ने सड़क और हवाईअड्डा जैसे बुनियादी ढांचा निर्माण में काफी संसाधन लगाया है. ‘लेकिन आप अल्पकाल में यह कर सकते हैं लेकिन दीर्घकाल में नहीं.
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बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निजी निवेश को लाना एक चुनौती है.’ नीति आयोग के सीईओ ने इस बात पर भी जोर दिया कि देश को सार्वजनिक निजी भागीदारी वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिये मजबूत बोली और छूट मूल्यांकन व्यवस्था की जरूरत है. कांत ने यह भी कहा कि अगर देश 9 से 10 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि चाहता है तो उसे बुनियादी ढांचा का विकास करना होगा क्योंकि दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, ताइवान और जापान में अच्छी वृद्धि का कारण बेहतर ढांचागत सुविधा है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कांत ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिये बीमा और पेंशन कोष का उपयोग करने और परियोजनाओं को व्यवहारिक बनाने के लिये जरूरी वित्तीय सहायता अथवा वित्त पोषण व्यवस्था का फिर से पुनरीक्षण करने पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि लंबे समय से कम निवेश के कारण बुनियादी ढांचा क्षेत्र प्रभावित हुआ है. कांत ने कहा, ‘हमें बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश के लिए पेंशन और बीमा कोष के उपयोग को लेकर माहौल बनाने की जरूरत है.
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परियोजनाओं को व्यवहारिक बनाने को लेकर वित्त पोषण (वीजीएफ) योजना का पूरी तरह से पुनरीक्षण किए जाने की आवश्यकता है.’ उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में सरकार ने सड़क और हवाईअड्डा जैसे बुनियादी ढांचा निर्माण में काफी संसाधन लगाया है. ‘लेकिन आप अल्पकाल में यह कर सकते हैं लेकिन दीर्घकाल में नहीं.
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बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निजी निवेश को लाना एक चुनौती है.’ नीति आयोग के सीईओ ने इस बात पर भी जोर दिया कि देश को सार्वजनिक निजी भागीदारी वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिये मजबूत बोली और छूट मूल्यांकन व्यवस्था की जरूरत है. कांत ने यह भी कहा कि अगर देश 9 से 10 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि चाहता है तो उसे बुनियादी ढांचा का विकास करना होगा क्योंकि दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, ताइवान और जापान में अच्छी वृद्धि का कारण बेहतर ढांचागत सुविधा है.
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