गोपाल राय ने उत्तर भारत में प्रदूषण के कारण केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से ‘सक्रिय’ होने की अपील की

राय ने कहा कि सरकार को फीडबैक मिला है कि संबंधित विभागों द्वारा गठित वायु प्रदूषण निगरानी दल जमीनी स्तर पर उचित तरीके से काम नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘अत: हमने इन दलों के कामकाज पर नजर रखने के लिए एक तंत्र बनाने के वास्ते सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं.’’

विज्ञापन
Read Time: 24 mins

नई दिल्ली: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से ‘‘सक्रिय'' होने की शुक्रवार को अपील करते हुए कहा कि न केवल राष्ट्रीय राजधानी, बल्कि समूचा उत्तर भारत प्रदूषण की चपेट में है. राय ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार ठहरा रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश और हरियाणा में खराब वायु गुणवत्ता के लिए वह जिम्मेदार नहीं हैं.

राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से ‘‘सक्रिय'' होने की अपील करते हुए कहा, ‘‘ऐसा नहीं लगता कि दिल्ली में कोई केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय भी है.'' एक स्वतंत्र थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट' के एक अध्ययन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली में 69 प्रतिशत वायु प्रदूषण पड़ोसी राज्यों से आता है.

उन्होंने कहा, ‘‘हम (दिल्ली) समस्या से निपटने के लिए हरसंभव कदम उठा रहे हैं लेकिन कोई नहीं जानता कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पर्यावरण मंत्री क्या कर रहे हैं.'' उन्होंने आगाह किया कि समूचे दिल्ली-एनसीआर के लिए अगले 15 दिन अहम है और सभी राज्य सरकारों को चौकन्ना रहना चाहिए और वायु प्रदूष्ण से निपटने के लिए एक साथ मिलकर काम करना चाहिए.

Advertisement

राय ने कहा कि सरकार को फीडबैक मिला है कि संबंधित विभागों द्वारा गठित वायु प्रदूषण निगरानी दल जमीनी स्तर पर उचित तरीके से काम नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘अत: हमने इन दलों के कामकाज पर नजर रखने के लिए एक तंत्र बनाने के वास्ते सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं.''

Advertisement

यह सुनिश्चित करने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं कि वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए केंद्र के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए. सीएक्यूएम ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता ‘‘गंभीर'' श्रेणी में चली जाने के बाद दिल्ली-एनसीआर में बृहस्पतिवार को गैर-जरूरी निर्माण कार्य, पत्थर काटने और खनन पर प्रतिबंध का आदेश दिया.

Advertisement

राष्ट्रीय सुरक्षा या रक्षा, राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं, स्वास्थ्य देखभाल, रेलवे, मेट्रो रेल, हवाई अड्डों, अंतरराज्यीय बस टर्मिनल, राजमार्गों, सड़कों, पुलों, बिजली ट्रांसमिशन, पाइपलाइन, स्वच्छता और जल आपूर्ति से जुड़े निर्माण कार्यों को इस प्रतिबंध से छूट दी गयी है. यह कदम सर्दियों के दौरान क्षेत्र में लागू केंद्र की वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना ‘चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना' (जीआरएपी) के तीसरे चरण के तहत उठाया गया है.

Advertisement

तीसरे चरण के तहत दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल वाहनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. जीआरएपी चार चरणों के तहत कार्रवाई करती है : पहला चरण - ‘खराब' (एक्यूआई 201-300), दूसरा चरण - ‘बहुत खराब' (एक्यूआई 301-400), तीसरा चरण - ‘गंभीर' (एक्यूआई 401-450) और चौथा चरण- ‘अत्यधिक गंभीर' (एक्यूआई 450 से अधिक) है.

दिल्ली की वायु गुणवत्ता शुक्रवार को सुबह ‘‘अत्यधिक गंभीर'' श्रेणी में चली गयी, जिसके तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण फैला रहे ट्रकों, वाणिज्यिक चार पहिया वाहनों और सभी प्रकार की निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध समेत तमाम आपात उपाय लागू करने की आवश्यकता होती है. शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बृहस्पतिवार को सुबह 10 बजे 351 दर्ज किया गया था, जो शुक्रवार को सुबह नौ बजे बढ़कर 471 पर पहुंच गया.

Featured Video Of The Day
RamJi Lal Suman NDTV EXCLUSIVE: Rana Sanga Controversy पर सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने दी सफाई
Topics mentioned in this article