दिल्ली की शांति एवं सद्धाव समिति ने फेसबुक मामले की जांच प्रक्रिया के दौरान गवाहों से बात की

दिल्ली की शांति एवं सद्भाव समिति ने अध्यक्ष राघव चड्ढा की अध्यक्षता में पिछली कार्यवाही को जारी रखते हुए 12 अक्टूबर को कुछ और गवाहों की जांच की है.

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नई दिल्ली:

दिल्ली की शांति एवं सद्भाव समिति ने अध्यक्ष राघव चड्ढा की अध्यक्षता में पिछली कार्यवाही को जारी रखते हुए 12 अक्टूबर को कुछ और गवाहों की जांच की है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक के खिलाफ लगाए गए गंभीर मुद्दों के प्रकाश में आने के बाद न्यूज क्लिक के संपादक, इंजीनियर और बिजली, दूरसंचार के क्षेत्र में विज्ञान कार्यकर्ता प्रबीर पुरकायस्थ और तथ्यों की जांच करने वाली गैर लाभकारी वेबसाइट अल्ट न्यूज के सह संस्थापक और लेखक प्रतीक सिन्हा से मामले को लेकर जांच की गई.

पुरकायस्थ ने स्पष्ट रूप से बताया कि फेसबुक के व्यापार मॉडल और लोगों की सक्रियता में वृद्धि के लिए घृणा को बढ़ावा देकर शांति-सद्भाव को बिगाड़ने के बीच सीधा संबंध है. उन्होंने कहा कि फेसबुक ने एक संगठन के तौर पर इस तरह की स्थिति प्राप्त कर ली है कि वह भारतीय कानूनों द्वारा बाध्य नहीं है. फेसबुक का जहां मुख्यालय स्थित है वहां केवल अमेरिकी कानूनों द्वारा बाध्य है. 

उन्होंने आगे कहा कि भारतीय संगठन की ओर से भड़काऊ और घृणित सामग्री को फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की शिकायत करने पर फेसबुक उदासीनता दिखाता है. लेकिन जब अमेरिका में इस तरह की खबरें उनके लिए शर्मनाक बन जाती हैं तो प्रतिक्रिया करता है. फेसबुक के पूर्व कर्मचारी सोफी झांग की ओर से फेसबुक पर ये आरोप लगाए गए थे.

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उन्होंने आगे बताया कि फेसबुक अपने बिजनेस मॉडल के माध्यम से कथित तौर पर नफरत को बढ़ावा देता है. क्योंकि इससे यह अधिक लोगों तक पहुंचा है. घृणित सामग्री पर अंकुश लगाने से फेसुबक अधिक लोगों तक नहीं पहुंच पाता है. इस प्रकार से फेसबुक की व्यावसायिक रणनीति और घृणास्पद सामग्री पर अंकुश लगाने में आपसी विरोध है. उन्होंने यह भी कहा कि शिकायत निवारण को लेकर फेसबुक की ओर से अधिक प्रभावी उपाय किए जाने चाहिऐं. फेसबुक पर शिकायत भेजने वाले व्यक्ति को यह जानने का अधिकार होना चाहिए कि उसकी शिकायत का क्या हुआ. इससे फेसबुक की सार्वजनिक विश्वसनियता पर असर पड़ेगा.

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प्रतीक सिन्हा ने समिति से कहा कि फेसबुक के कामकाज और संरचना में पूरी तरह से अस्पष्टता है इसका कारण संचालन में कोई पारदर्शिता नहीं होना है. उन्होंने दिल्ली दंगों के दौरान घटे विभिन्न घटनाक्रमों को विस्तृत रूप से साझा किया. किसी भी सामग्री (कंटेंट) को फर्जी घोषित किए जाने के बावजूद वह अभी भी फेसबुक पर मौजूद हैं. फर्जी कंटेंट को अपने प्लेटफॉर्म से हटाने में नाकाम रहने पर यह फेसबुक की कथित अक्षमता को बताता है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि फेसबुक को फर्जी सामग्री का प्रसार करने वाले आदतन अपराधियों को हमेशा के लिए प्लेटफॉर्म से हटाकर अधिक पारदर्शी और प्रभावी होनी की जरूरत है. 

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उन्होंने यह भी कहा कि इस दिशा में बहुत अधिक प्रयास की आवश्यकता है क्योंकि फेसबुक का व्यवसायिक मॉडल अपनी ही संतुलन की नीति को लागू करने में एक बाधा बन रहा है. दोनों गवाहों ने कई उपायों की सिफारिश की जो फेसबुक को सुझाए जा सकते हैं, ताकि उनकी कार्यप्रणाली में सुधार हो सके. पुरकायस्थ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ज्वलंत मुद्दों से निपटने और ढांचागत सुधार को लेकर अमूल्य सुझाव विस्तृत तौर पर समिति को लिखित में देने का प्रस्ताव दिया है.

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फेसबुक के खिलाफ सार्वजनिक महत्व के गंभीर मुद्दों से जुड़ी शिकायतों के निराकरण के उद्देश्य से समिति ने पिछली बैठकों में भी कुछ स्वतंत्र और विशेषज्ञ गवाहों की जांच की थी. दिल्ली विधान सभा के स्पीकर द्वारा शांति और सद्भाव संबंधी समिति को पुनर्गठित किया गया है, जिसमें नए सदस्य शामिल किए गए हैं. मौलिक उद्देश्यों के संरक्षण और दिल्ली में शांति-सद्भाव बनाए रखने के लिए, शांति और सद्भाव समिति ने शिकायतों के निपटारे का फैसला किया था. दिल्ली विधान सभा की संदर्भ शर्तों के अनुसार शांति और सद्भाव समिति ने कार्यवाही को तेज कर दिया है.

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