नई दिल्ली: दिल्ली की वायु गुणवत्ता शुक्रवार को लगातार पांचवें दिन ‘खराब' श्रेणी में रही और आने वाले दिनों में इसके बदतर होने का अनुमान है. निगरानी एजेंसियों ने यह जानकारी दी. दिल्ली में 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 261 दर्ज किया गया. इससे पहले बृहस्पतिवार को एक्यूआई 256 , बुधवार को 243 और मंगलवार को 220 रहा था.
पड़ोसी शहरों गाजियाबाद में एक्यूआई 226, फरीदाबाद में 235, गुरुग्राम में 224, नोएडा में 220 और ग्रेटर नोएडा में 280 दर्ज किया गया. एक्यूआई शून्य से 50 के बीच 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है.
दिल्ली के लिए केंद्र की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान प्रणाली के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता शनिवार को ‘बेहद खराब' श्रेणी में पहुंचने की आशंका है. इसकी मुख्य वजह हवा की धीमी गति और तापमान में गिरावट मानी जा रही है.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली (सफर) जानकारी प्रदान नहीं कर रही है और संबंधित अधिकारियों को इसका कारण नहीं पता है. यह प्रणाली दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली जलाने निकलने वाले धुएं की हिस्सेदारी के बारे में बताती है. वेबसाइट का संचालन करने वाले भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान के एक अधिकारी ने बताया, “ हमें नहीं पता कि सफर के पोर्टल पर अपडेट क्यों रुक गए हैं.”
इसी तरह, ‘निर्णय समर्थन प्रणाली' के आंकड़े भी अब आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं है. सरकार ने वाहन प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए बृहस्पतिवार को एक अभियान भी शुरू किया. एक साल पहले उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने ऐसे ही अभियान की प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हुए उसे रोक दिया था.
केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान की ओर से 2019 में कराया गया एक अध्ययन बताता है कि ‘‘ट्रैफिक सिग्नल'' पर इंजन चालू रखने से प्रदूषण स्तर में नौ प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो सकती है. दिल्ली में पिछले कुछ सालों में उत्सर्जन सूची और स्रोत विभाजन पर कराये गये अध्ययनों से पता चला कि वाहनों से जो धुंआ निकलता है, उसका हिस्सा पीएम 2.5 उत्सर्जन में नौ प्रतिशत से 38 प्रतिशत तक होता है.
मई के बाद पहली बार रविवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता बहुत खराब हो गयी थी. उसकी मुख्य वजह तापमान में गिरावट और हवा की रफ्तार है, जिसके कारण प्रदूषक जमा हो गये. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के विश्लेषण के अनुसार, एक नवंबर से 15 नवंबर तक राजधानी में प्रदूषण शीर्ष पर पहुंच जाता है जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं शिखर पर पहुंच जाती हैं.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में मौजूदा, सर्वाधिक प्रदूषित 13 स्थानों (प्रदूषण हॉटस्पॉट) के अलावा आठ और ऐसे स्थानों की पहचान की है. प्रदूषण के स्रोतों की जांच के लिए वहां विशेष टीम तैनात की जाएंगी. राय ने कहा कि सरकार ने शहर में धूल प्रदूषण को रोकने के लिए रासायनिक पाउडर का उपयोग करने का भी निर्णय लिया गया है.