यात्रियों के अनुकूल तैयार की गईं दो गुणे दो की अनुप्रस्थ गद्दीदार कुर्सी, वाईफाई, हर सीट पर लैपटॉप और मोबाइल चार्ज करने की सुविधा, सीसीटीवी कैमरे, मानचित्र, स्वनियंत्रित प्रकाश व्यवस्था उन कुछ अहम विशेषताओं में शामिल है, जो आधुनिक रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) ट्रेन में देखने को मिलेगी. यह ट्रेन दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रूट (Delhi-Ghaziabad- Meerut Route) पर दौड़ेगी. इस ''हाई-स्पीड रेल'' का पहला ट्रेन-सेट शनिवार को गुजरात के वडोदरा जिले के सावली में अपने विनिर्माण संयंत्र में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) को सौंप दिया गया.
दिल्ली और मेरठ के बीच एनसीआरटीसी भारत का पहला आरआरटीएस स्थापित करने जा रहा है, जो रेल आधारित उच्च गति, उच्च आवृत्ति क्षेत्रीय कम्यूटर ट्रांजिट सिस्टम है. एनसीआरटीसी के एक अधिकारी ने विनिर्माण संयंत्र में आरआरटीएस ट्रेन के दौरे के दौरान बताया, ''आधुनिक आरआरटीएस ट्रेन में यात्रियों के अनुरूप बैठने की जगह, सामान रखने की चौड़ी जगह, सीसीटीवी कैमरे, लैपटॉप, मोबाइल चार्ज करने की सुविधा, मानचित्र, स्वनियंत्रित प्रकाश व्यवस्था है.'' उन्होंने कहा कि इन ट्रेन में खड़े हो कर यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए आरामदायक हत्थे (हैंडल) लगे होंगे. रेल के साथ गलियारे की चौड़ाई को भी अनुकूलित किया गया है.
आरआरटीएस ट्रेनों में एक मानक के साथ-साथ प्रीमियम श्रेणी (प्रति ट्रेन एक कोच) भी होगी, साथ ही एक कोच महिला यात्रियों के लिए आरक्षित होगा. ये ट्रेन उस रूट की आवश्यकता के आधार पर चार और छह डिब्बों के खंडों में चलाई जाएंगी. एनसीआरटीसी के अधिकारी ने बताया, ''प्रीमियम या व्यवसायिक श्रेणी के कोच अधिक विशाल और आरामदायक होंगे. इसकी कुर्सियां आरामदायक होंगी. प्रीमियम श्रेणी के टिकट की कीमतें सामान्य श्रेणी से अधिक होंगी. दोनों वर्गों का किराया अभी तय किया जाना बाकी है.''
इन ट्रेन को आधुनिक दृश्य और श्रव्य माध्यम से की जाने वाली घोषणाओं के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो यात्रियों को अगले पड़ाव, अंतिम गंतव्य, ट्रेन की गति आदि के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं. अधिकारियों ने कहा कि जरूरत के आधार पर दरवाजों पर पुश बटन भी उपलब्ध होंगे. इससे हर स्टेशन पर सभी दरवाजे खोलने की जरूरत खत्म हो जाएगी, जिससे ऊर्जा की बचत होगी. ट्रेन के आने के बाद इस साल के अंत तक (साहिबाबाद-दुहाई) पर शुरुआती ट्रायल रन शुरू होने की उम्मीद है. 17 किलोमीटर के प्राथमिकता वाले खंड को साल 2023 तक और पूर्ण गलियारे को 2025 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है.