जहरीली हवा, हांफता शहर... सांसों पर संकट का हो ठोस समाधान, जंतर-मंतर से फिर उठी आवाज

जंतर मंतर पर प्रदर्शन के दौरान संगीत, कविता, रैप, व्यंग्य और स्ट्रीट आर्ट के जरिए लोगों ने साफ हवा की मांग उठाई.

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  • जंतर-मंतर पर DU, JNU, जामिया, IIT के छात्रों और आम नागरिकों ने स्वच्छ हवा के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया
  • मांग की गई कि सांस लेने का अधिकार मौलिक अधिकार घोषित करें और AQI 50 से कम सुनिश्चित किया जाए
  • ये भी कहा गया कि सरकार साफ हवा के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनाए, प्रदूषण पर वैज्ञानिक नियंत्रण करें
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दिल्ली के आसमान पर छाई जहरीली हवा के बीच जंतर-मंतर पर बुधवार को शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया. इसमें DU, JNU, जामिया, IIT दिल्ली के छात्रों, कई NGO प्रतिनिधियों और बड़ी संख्या में आम नागरिकों ने हिस्सा लिया. दिल्ली सिटीज़न्स ग्रुप और NSUI के संयुक्त आयोजन में संगीत, कविता, रैप, व्यंग्य और स्ट्रीट आर्ट के जरिए लोगों ने साफ हवा की मांग उठाई. प्रदर्शन सांस्कृतिक स्वरूप में था, लेकिन संदेश सीधा था- दिल्ली को फौरी नहीं, लंबी अवधि का समाधान चाहिए.

AQI 400 पार, सांस लेना भी मुश्किल

दिल्ली में बुधवार को आरके पुरम, नेहरू नगर, जहांगीरपुरी, रोहिणी, विवेक विहार और चांदनी चौक जैसे इलाकों में AQI 400 के पार रहा. कई लोगों ने कहा कि हालात ऐसे हैं कि लंबे समय तक बाहर रहना मुश्किल है. आंखों में जलन, गले में खराश और भारीपन लगातार महसूस किया जा रहा है.

प्रदूषण घर में भी बना रहा बीमार

लाजपत नगर से आए एक शख्स ने बताया कि घर से बाहर निकलने पर प्रदूषण की वजह से आंखों में तेज जलन होती है. लगातार पानी आता है. उनकी बुज़ुर्ग मां घर में ही बीमार हो गई हैं. उनका कहना था कि हर साल सर्दियों में यही हालात होते हैं. सरकारें इसे सिर्फ मौसम का मुद्दा समझकर नहीं छोड़ सकतीं. कंस्ट्रक्शन तो विदेशों में भी होता है, फिर वहां प्रदूषण इतना नहीं क्यों है?

सड़कों पर पानी डालना समाधान नहीं

कई युवाओं का कहना था कि दिल्ली-NCR में कंस्ट्रक्शन से निकलने वाली धूल, कचरा प्रबंधन और फैक्ट्रियों से होने वाले उत्सर्जन पर निगरानी की व्यवस्था कमजोर है. सिर्फ सड़कों पर पानी डालने या कुछ दिनों के लिए निर्माण रोक देने से समस्या हल नहीं होगी. नियमों का सख्ती से पालन, बेहतर मॉनिटरिंग और वैज्ञानिक तरीके से प्रदूषण स्रोतों पर नियंत्रण जरूरी है.

आंदोलन की 3 मुख्य मांगें

  • केंद्र और राज्य मिलकर तुरंत इमरजेंसी कार्ययोजना लागू करें.
  • स्वच्छ हवा के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनाएं, प्रदूषण के सभी स्रोतों पर वैज्ञानिक नियंत्रण लगे.
  • सांस लेने के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया जाए और AQI 50 से कम सुनिश्चित करें.

आंदोलन में कलाकारों की भागीदारी 

स्वच्छ आबोहवा के लिए हुए प्रदर्शन में प्रसिद्ध बेसिस्ट राहुल राम भी शामिल हुए. उनकी प्रस्तुति ने संदेश दिया कि स्वच्छ हवा सभी की साझा लड़ाई है, किसी एक एजेंसी या किसी एक सरकार का मुद्दा नहीं.

NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने कहा कि करोड़ों लोग जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं, लेकिन न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार कोई ठोस योजना लेकर सामने आई है. सांस लेना मौलिक अधिकार होना चाहिए. सरकारों को कम से कम 50 AQI की गारंटी देनी चाहिए.

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कार्यक्रम के आखिर में लोगों ने तय किया कि वो हर रविवार कला, संगीत और समुदाय की ताकत के जरिए इस आंदोलन को आगे बढ़ाते रहेंगे. ये अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक दिल्ली को साफ हवा नहीं मिल जाती.

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