दाती महाराज पर है बलात्कार का आरोप. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में स्वयंभू बाबा दाती महाराज को गिरफ्तार नहीं करने पर बुधवार को पुलिस से नाराजगी जताई और मामला सीबीआई को सौंप दिया. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने मामला सीबीआई को हस्तांतरित करने की शिकायतकर्ता महिला की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस ने जिस तरह से जांच की है, वह निराश करने वाली है. पीठ ने कहा कि पुलिस ने मामले में आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया, जबकि फरियादी महिला का बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज किया जा चुका है.
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पुलिस की ओर से दिल्ली सरकार के स्थाई वकील (आपराधिक मामले) राहुल मेहरा ने कहा कि गिरफ्तारी इसलिए नहीं की गई, क्योंकि महिला के बयान में विसंगतियां और विरोधाभास हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अन्य जिन महिलाओं के यौन उत्पीड़न की बात शिकायत में कही गई थी, उन्होंने भी पूछताछ में इस तरह के आरोपों को खारिज कर दिया. मेहरा ने कहा कि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने एक अक्टूबर को निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया जो मामले में सुनवाई कर रही है. हालांकि पीठ ने दलीलों को स्वीकार नहीं किया और कहा, 'आरोपी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? जब धारा 164 के तहत बयान हो गया तो आपको आरोपी को गिरफ्तार करना चाहिए था और यदि उनके बयान में कोई विसंगति या विरोधाभास है तो उसे जमानत देने का आधार बनाया जा सकता था.'
VIDEO : बलात्कार के मामले में दाती महाराज से फिर हुई पूछताछ
अदालत ने कहा कि जिस तरह से अन्य महिला गवाहों को एक बस में एक साथ ले जाकर उनसे पूछताछ की गयी, मानो उन्हें सैर-सपाटे के लिए ले जाया जा रहा हो, उससे जांच पर भरोसा नहीं पैदा होता. अदालत ने कहा, 'मामला सीबीआई को हस्तांतरित किया जाए. वह पूरक आरोपपत्र दाखिल कर सकती है. सीबीआई तीन सप्ताह में एक प्रारंभिक रिपोर्ट जमा करेगी.' पीठ दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें एक फरियादी महिला की है और दूसरी एक जनहित याचिका है जिसमें मामले की जांच सीबीआई को देने की मांग की गई.
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पुलिस की ओर से दिल्ली सरकार के स्थाई वकील (आपराधिक मामले) राहुल मेहरा ने कहा कि गिरफ्तारी इसलिए नहीं की गई, क्योंकि महिला के बयान में विसंगतियां और विरोधाभास हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अन्य जिन महिलाओं के यौन उत्पीड़न की बात शिकायत में कही गई थी, उन्होंने भी पूछताछ में इस तरह के आरोपों को खारिज कर दिया. मेहरा ने कहा कि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने एक अक्टूबर को निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया जो मामले में सुनवाई कर रही है. हालांकि पीठ ने दलीलों को स्वीकार नहीं किया और कहा, 'आरोपी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? जब धारा 164 के तहत बयान हो गया तो आपको आरोपी को गिरफ्तार करना चाहिए था और यदि उनके बयान में कोई विसंगति या विरोधाभास है तो उसे जमानत देने का आधार बनाया जा सकता था.'
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अदालत ने कहा कि जिस तरह से अन्य महिला गवाहों को एक बस में एक साथ ले जाकर उनसे पूछताछ की गयी, मानो उन्हें सैर-सपाटे के लिए ले जाया जा रहा हो, उससे जांच पर भरोसा नहीं पैदा होता. अदालत ने कहा, 'मामला सीबीआई को हस्तांतरित किया जाए. वह पूरक आरोपपत्र दाखिल कर सकती है. सीबीआई तीन सप्ताह में एक प्रारंभिक रिपोर्ट जमा करेगी.' पीठ दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें एक फरियादी महिला की है और दूसरी एक जनहित याचिका है जिसमें मामले की जांच सीबीआई को देने की मांग की गई.
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