मीम क्रिप्टोकरेंसी में एक नया टोकन डॉज और शिब को टक्कर दे रहा है. मार्केट की मंद चाल के बावजूद पिछले कुछ दिनों में मीम क्रिप्टोकरेंसी में एक्टिविटी प्रतिशत काफी बढ़़ गया है. Dogecoin और Shiba Inu के एक्टिव एड्रेसेज की संख्या में वृद्धि के साथ ही हालिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि टॉप इथेरियम व्हेल्स में होल्ड की जाने वाले क्रिप्टोकरेंसी में डॉजकॉइन और शिबा इनु जैसी मीम क्रिप्टोकरेंसी भी शामिल हैं. लेकिन एक ताजा अपडेट अब कुछ और ही कहता है.
WhaleStats की ताजा रिपोर्ट कहती है कि इथेरियम व्हेल्स द्वारा होल्ड की जाने वाली टॉप मीम क्रिप्टोकरेंसी Shiba Inu (SHIB) और Dogecoin (DOGE) नहीं हैं बल्कि ShibDoge है. डॉजकॉइन और शिबा इनु के लिए एक नया प्रतिद्वंदी मार्केट में उभर रहा है. व्हेल अकाउंट्स ट्रैक करने वाले प्लेटफॉर्म के ताजा आंकड़े बताते हैं कि टॉप 1000 इथेरियम व्हेल्स जिस क्रिप्टोकरेंसी को सबसे ज्यादा होल्ड करते हैं, उसमें ShibDoge का नाम आता है, न कि DOGE और SHIB का. हालांकि, शिबा इनु ShibDoge के बाद दूसरी सबसे बड़ी मीम क्रिप्टोकरेंसी है जिसे इथेरियम व्हेल्स होल्ड करते हैं.
जारी किए गए आंकडों के अनुसार, ShibDoge की इथेरियम व्हेल्स में कुल होल्डिंग 685 मिलियन डॉलर यानि लगभग 68.5 करोड़ डॉलर की है. यह शिबा इनु से 6.3 करोड़ डॉलर ज्यादा है. शिबा इनु और डॉजकॉइन को जहां एक मजाक के रूप में शुरू किया गया था, अब ये दोनों मीम टोकन विश्वभर में प्रसिद्ध हैं और इनके निवेशकों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है.
ShibDoge एक नया प्रोजेक्ट है, जो Dogecoin (DOGE) और Shiba Inu (SHIB) की पॉपुलरिटी के आधार पर शुरू किया गया है. इसकी शुरुआत दिसंबर 2021 में पीटर नाम के शख्स की एक पोस्ट के साथ होती है. पोस्ट में पीटर ने लिखा है कि वो शुरू से ही डॉजकॉइन और शिबा इनु को फॉलो करते आ रहे हैं. दोनों ही कॉइन्स को एक ही मकसद से शुरू किया गया था लेकिन बाद में दोनों कॉइन्स की पॉपुलरिटी बढ़ी और दोनों में मुकाबला शुरू हो गया.
पीटर का कहना है कि अच्छा हो, अगर दोनों ही कम्यूनिटी साथ में आ जाएं. इसलिए उन्होंने शिबा इनु और डॉजकॉइन को आधार बनाकर दोनों ही टोकनों को एक टोकन में समाहित कर दिया और ShibDoge नाम के नए प्रोजेक्ट की शुरुआत की. शिबा इनु और डॉजकॉइन के और भी कई क्लोन मार्केट में मौजूद हैं लेकिन शिबडॉज उनसे अलग है. पीटर कहते हैं कि वो एक ऐसा प्रोजेक्ट शुरू करना चाहते थे जिसमें लोग एक साथ आकर काम कर सकें और जिसमें किसी तरह का आपस में कोई मुकाबला न हो.