दिवालिया होने जा रही Celsius में Ripple ने दिखाई दिलचस्पी

यह भी स्पष्ट नहीं है कि सेल्सियस इस तरह के सौदे को स्वीकार करेगा या नहीं. क्रिप्टो लेंडर Nexo ने जून में सेल्सियस के समान सौदे का प्रस्ताव रखा था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया था.

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रॉयटर्स का कहना है कि रिपल सेल्सियस का प्रमुख लेनदार नहीं है

Ripple Labs की दिलचस्पी क्रिप्टोकरेंसी लेंडर्स Celsius Network की एसेट्स खरीदने में हो सकती है. रिपल के एक प्रवक्ता ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि कंपनी "सेल्सियस और उसकी एसेट्स के बारे में जानने में रुचि रखती है, और क्या इनमें से कुछ हमारे बिजनेस के साथ जुड़ सकता है." प्रवक्ता ने आगे कहा कि रिपल मर्जर और अधिग्रहण के अवसरों की "सक्रिय रूप से तलाश" कर रहा है, जो "कंपनी को रणनीतिक रूप से बढ़ाएगा." हालांकि, प्रवक्ता ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या रिपल सेल्सियस को पूरी तरह से अधिकृत करने पर विचार करेगा या इसकी कुछ एसेट्स को खरीदेगा.

Reuters की एक रिपोर्ट के अनुसार, Ripple के वकीलों ने 5 अगस्त को Celsius की दिवालियेपन की कार्यवाही में भाग लेने के लिए तीन फाइलिंग जमा की. हालांकि, उन फाइलिंग से यह संकेत नहीं मिलता है कि रिपल मामले में क्यों शामिल हो गया है या इसकी भागीदारी इसकी अधिग्रहण योजनाओं से संबंधित है या नहीं. रॉयटर्स का कहना है कि रिपल सेल्सियस का प्रमुख लेनदार नहीं है.

यह भी स्पष्ट नहीं है कि सेल्सियस इस तरह के सौदे को स्वीकार करेगा या नहीं. क्रिप्टो लेंडर Nexo ने जून में सेल्सियस के समान सौदे का प्रस्ताव रखा था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया था.

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सेल्सियस ने शुरू में "एक्सट्रीम मार्केट कंडीशन्स" का हवाला देते हुए जून में अपने यूजर्स की एसेट्स को फ्रीज कर दिया था, इसके बाद Voyager और CoinFLEX जैसी कुछ अन्य क्रिप्टो फर्मों ने इसका पालन किया. इसके बाद, कंपनी ने विभिन्न DeFi लोन्स पर अपने बकाया लोन का भुगतान किया, अपने गिरवी एसेट्स को पुनः प्राप्त किया, और एक महीने बाद दिवालियापन दायर कर दिया.

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फाइलिंग से पता चला है कि लोन देने वाली फर्म की एसेट्स में कैश, क्रिप्टोकरेंसी, कंपनी के सेल्सियस (CEL) टोकन, और इसके कस्टडी अकाउंट, लोन्स और Bitcoin माइनिंग बिजनेस के भीतर विभिन्न डिजिटल संपत्तियां शामिल हैं. हालांकि, जब इन एसेट्स को फर्म की देनदारियों के मुकाबले तौला गया, तब भी कंपनी ने अपनी बैलेंस शीट पर $1.19 बिलियन (लगभग 9,455 करोड़ रुपये) का घाटा दर्ज किया. अब, कंपनी के लेनदारों को अपना कोई भी पैसा वापस मिलने की संभावना ना के बराबर दिखती है.

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