कानपुर में बीती 3 जुलाई से अब तक विकास दुबे सहित कई अपराधियों की पुलिस की मुठभेड़ मार चुकी है. इसमें विकास सहित 6 अपराधी उसकी गैंग के ही हैं. लेकिन यूपी पुलिस की ओर से जिन 15 अपराधियों की लिस्ट जारी की गई और जिन्हें विकास दुबे का सहयोगी बताया गया है. उनमें से एक अमर दुबे का एनकाउंटर किया हुआ है और गुड्डन त्रिवेदी नाम का बदमाश मुंबई से गिरफ्तार किया गया है. लेकिन बाकी जो बचे अपराधी हैं उनको भी ढूंढने में पुलिस को दिन रात एक करना होगा क्योंकि वो जब तक गिरफ्त से बाहर हैं, कई तरह के खतरे हमेशा बना रहेगा, पहला एक तो उनमें विकास दुबे की जगह लेने की होड़ शुरू हो सकती है और दूसरा अपने आका की मौत का बदला लेने के लिए खून-खराबे पर भी उतारू हो सकते हैं, तीसरा ये अपराधी इलाके में दहशत में फैलाने के लिए किसी घटना को अंजाम भी देने की साजिश भी रच सकते हैं. इलाके लोगों भी इस बात को समझते हैं इसलिए वे पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं. उनको लगता है इनमें कोई और 'विकास दुबे' बनकर न तैयार हो जाए. क्योंकि ये सभी प्रोफेशनल अपराधी हैं और पैसा के लिए इनसे कोई भी काम कराया जा सकता है. जिस तरह विकास दुबे नेताओं का हाथ पकड़कर पूरे 32 सालों तक राज करता रहा है, उसी तरह इनमें से से भी किसी को ऐसा मौका न मिल जाए. कुल मिलाकर विकास दुबे के मारे जाने के बाद भी अजीब तरह का सन्नाटा है.
विकास दुबे की दहशत मिटाने होगी
विकास दुबे ने बीते 30-32 सालों में इलाके को लोगों को डरा-धमाकर कई लोगों से जमीनें जबरदस्ती लिखवा ली थीं और कई जगहों पर जबरन कब्जा किया था. पुलिस प्रशासन को इन मामलों की खोज करके उन लोगों को तुरंत न्याय दिलाना चाहिए ताकि अपराधियों में यह संदेश जाए कि गलत काम करने पर कानून उस पर अब कार्रवाई जरूर करेगा.
बिकरू गांव में तैनात है फोर्स
गैंगस्टर विकास दुबे की एसटीएफ से कथित मुठभेड़ में मौत के बाद उसके गांव में कड़ी सुरक्षा चौकसी बरती जा रही है. गांव में जमींदोज किए जा चुके दुबे के घर के आस-पास करीब 60 पुलिसकर्मियों का कड़ा पहरा है. उनमें से ज्यादातर एक नीम के पेड़ के नीचे चारपाई डाल कर बैठे हैं. मकान के खंडहर के पास एक टूटा हुआ बेसबॉल बैट, क्षतिग्रस्त ट्रैक्टर कार और मोटरसाइकिल देखी जा सकती हैं.
कोई बोलने को नहीं है तैयार
दुबे की मौत को लेकर गांव के लोग कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. लोग अपने घरों के अंदर हैं और वे पूरे घटनाक्रम पर कुछ भी कहने से इंकार कर रहे हैं. पीटीआई-भाषा संवाददाता ने सोमालू नामक एक अधेड़ से दुबे की मुठभेड़ में मौत के बारे में पूछा तो उसने कहा कि वह एक मजदूर है और पड़ोस के गांव में रहता है. इस सवाल पर कि क्या कभी दुबे ने उसकी कोई मदद की थी उसने कहा "नहीं". (इनपुट भाषा से भी)