यह ख़बर 12 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

भारत-इंग्लैंड के बीच चौथे टेस्ट में दांव पर लगे कई करियर

खास बातें

  • लगातार दो हार के बाद आलोचकों के कोपभाजन बने कई भारतीय क्रिकेटरों के करियर गुरुवार से इंग्लैंड के खिलाफ शुरू हो रहे चौथे टेस्ट में दांव पर लगे होंगे। इसमें अच्छा प्रदर्शन नहीं करने पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाना लगभग तय है।
नागपुर:

लगातार दो हार के बाद आलोचकों के कोपभाजन बने कई भारतीय क्रिकेटरों के करियर गुरुवार से इंग्लैंड के खिलाफ शुरू हो रहे चौथे टेस्ट में दांव पर लगे होंगे। इसमें अच्छा प्रदर्शन नहीं करने पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाना लगभग तय है।

मुंबई और कोलकाता में क्रमश: दूसरा और तीसरा टेस्ट हारने के बाद भारतीय टीम शृंखला में 1-2 से पीछे चल रही है। वीसीए स्टेडियम पर चौथा टेस्ट जीतकर शृंखला में बराबरी के लिए खिलाड़ियों को काफी मेहनत करनी होगी।

कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और अनुभवी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर समेत खराब प्रदर्शन कर रहे सीनियर खिलाड़ियों पर न सिर्फ अच्छे प्रदर्शन का, बल्कि अपने करियर को बचाने का भी दबाव है। इंग्लैंड को पिछले 28 साल में भारतीय सरजमीं पर पहली टेस्ट शृंखला जीतने से रोकने के लिए उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा।

इंग्लैंड ने आखिरी बार भारत में 1984-85 में डेविड गावर की अगुवाई में शृंखला जीती थी। भारत के सामने एक नहीं, बल्कि कई कमजोर कड़ियां है। सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग अच्छी शुरुआत नहीं दे सके हैं। दूसरी ओर इंग्लैंड के कप्तान एलिस्टेयर कुक और निक कॉम्पटन ने हमेशा ठोस शुरुआत दी है। मध्यक्रम में चेतेश्वर पुजारा पहले दो टेस्ट में चले, लेकिन उनके अलावा कोई बल्लेबाज कमाल नहीं कर सका।

अपने सुनहरे करियर के आखिरी पड़ाव पर पहुंचे तेंदुलकर पांच पारियों में सिर्फ 110 रन बना सके हैं। ऑस्ट्रेलिया में भारत के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज रहे विराट कोहली गैर-जिम्मेदाराना शॉट खेलकर आउट हुए। उन्होंने छह पारियों में 85 रन बनाए। धोनी बतौर बल्लेबाज, कप्तान और विकेटकीपर नाकाम रहे। तीन टेस्ट में उनके नाम एकमात्र अर्धशतक रहा।

खराब प्रदर्शन के अलावा तल्ख बयानबाजी के लिए भी उनकी आलोचना हो रही है। कोलकाता में सात विकेट से हारने क बाद उन्होंने कहा था, मेरे लिए कप्तानी छोड़ना बहुत आसान होगा, लेकिन यह जिम्मेदारियों से भागना होगा। बीसीसीआई और प्रशासनिक अधिकारी हालांकि इस बारे में फैसला लेंगे। भारत यदि शृंखला हार जाता है, तो धोनी की कप्तानी जाना तय है।

इससे पहले इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में भारत लगातार आठ टेस्ट गंवा चुका है। मध्यक्रम से चयनकर्ताओं ने युवराज सिंह को बाहर करके फॉर्म में चल रहे रवींद्र जडेजा को शामिल किया है। रणजी क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करने वाले जडेजा का टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण तय है।

अब तक 58 वनडे खेल चुके जडेजा ने राजकोट में रेलवे के खिलाफ रणजी मैच में अपना तीसरा तिहरा शतक जमाया। टेस्ट क्रिकेट में उनका पदार्पण हालांकि काफी दबाव वाले हालात में हो रहा है। बल्लेबाजी के अलावा जडेजा बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाजी से भी प्रभावी साबित हो सकते हैं। वह प्रज्ञान ओझा से कुछ तेज गेंदबाजी करते हैं, लिहाजा दोनों मिलकर एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं।

ऑफ स्पिनर आर अश्विन अपनी गेंदबाजी से अभी तक छाप नहीं छोड़ पाए हैं। हरभजन सिंह की जगह लेग स्पिनर पीयूष चावला को टीम में शामिल किया गया है। वहीं तेज गेंदबाज जहीर खान को बाहर करके दिल्ली के तेज गेंदबाज परविंदर अवाना को जगह दी गई है। अभी तक टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण नहीं कर सके अशोक डिंडा के साथ ईशांत शर्मा तेज आक्रमण के लिए पहली पसंद होंगे।

दूसरी ओर, इंग्लैंड की अंतिम एकादश लगभग तय है। उनके लिए शृंखला जीतने के मकसद से ड्रॉ भी काफी होगा, लेकिन कप्तान कुक की नजरें जीत दर्ज करने पर है। अभी तक तीन टेस्ट में 548 रन बना चुके कुक ने कहा, हमारी नजरें जीत पर होंगी। ड्रॉ का लक्ष्य लेकर मैदान पर नहीं उतरा जा सकता। पिछले दो मैचों में भी हमने ऐसा नहीं किया और नतीजा हमारे अनुकूल रहा।

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कुक ने जहां मोर्चे से अगुवाई की, वहीं केविन पीटरसन ने मुंबई टेस्ट में बेहतरीन पारी खेलकर अपनी उपयोगिता फिर साबित की। इंग्लैंड के गेंदबाज भी अपेक्षाओं पर खरे उतरे हैं। स्पिनर मोंटी पनेसर ने दो टेस्ट में 16 विकेट लिए, जबकि ग्रीम स्वान ने तीन टेस्ट में 17 विकेट चटकाए। तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन और स्टीवन फिन भी रिवर्स स्विंग का बखूबी इस्तेमाल करने में कामयाब रहे हैं।