दिल्ली दंगा पीड़ितों का आरोप, शिकायत वापस लेने का दबाव बना रहे अधिकारी

पीड़ितों ने शुक्रवार की शाम को राष्ट्रीय राजधानी में स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया

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दिल्ली में हुए दंगों की फाइल फोटो.
नई दिल्ली:

उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा पीड़ितों के एक समूह ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि उन पर अपनी शिकायतें वापस लेने और उनकी मदद करने वाले एक अधिवक्ता के खिलाफ बयान देने का दबाव बनाया गया है. पीड़ितों ने शुक्रवार शाम को राष्ट्रीय राजधानी स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया और वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा के समर्थन में आगे आए जिनके कार्यालय की एक दिन पहले पुलिस ने तलाशी ली थी.

उन्होंने दावा किया कि इस साल फरवरी में हुए दंगों के बाद जब किसी भी सरकार या कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने उन्हें सहायता प्रदान नहीं की तो प्राचा ने उनके साथ खड़े होकर कानूनी सहायता और अन्य संभावित सहायता नि:शुल्क प्रदान की. खजुरी निवासी मोहम्मद मुमताज (27) ने आरोप लगाया कि उन्हें मामला वापस लेने के लिए मजबूर किया गया.

वसीम जिसकी दंगों के दौरान पुलिस कर्मियों द्वारा कथित तौर पर राष्ट्रगान गाने के लिए पिटाई की गई थी, ने कहा, ‘‘पुलिसकर्मियों ने मेरी शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया. मुझे प्राचा के बारे में पता चला. उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने मेरी मदद की.''

दंगों के एक अन्य पीड़ित फिरोज अख्तर (42) ने बताया कि उन पर भी प्राचा से न जुड़ने का दबाव था.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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