उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को कहा कि भारत ज्ञान और नवाचार का केंद्र बन सकता है और विश्वविद्यालयों को रचनात्मकता, मौलिकता और उद्यमिता के माहौल को बनाने में अग्रणी भूमिका निभानी होगी. नायडू ने हैदराबाद विश्वविद्यालय में कुछ नये केंद्रों का उद्घाटन करने के बाद कहा कि विश्वविद्यालयों को न केवल आधुनिक अनुसंधान के केंद्र बनना होगा बल्कि उद्योगों से भी करीबी संपर्क स्थापित करना होगा.
युवाओं की ऊर्जा को रचनात्मक राष्ट्र निर्माण की गतिविधियों में लगाने की जरूरत बताते हुए उन्होंने युवाशक्ति को विकास की शक्तियों से जुड़ने और नकारात्मकता को दूर करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि देश महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा है और उसके सामने कई चुनौतियां हैं. ऐसे में युवाओं को कोरोना वायरस से लेकर जलवायु परिवर्तन तक अनेक समस्याओं से निपटने के नवोन्मेषी समाधान निकालने चाहिए.
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह सभी वर्गों, खासकर युवाओं के लिए भारत को सभी मोर्चों पर और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए अग्रणी रहने का समय है.'' उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि निरक्षरता को समाप्त करने, बीमारियों से लड़ने, कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने, सामाजिक बुराइयों को दूर करने और महिलाओं पर अत्याचार जैसे किसी भी तरह के भेदभाव पूर्ण बर्ताव को समाप्त करने तथा नये और उदीयमान भारत के निर्माण के लिए भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में वे पथप्रदर्शक बनें.
मार्च में कोविड-19 लॉकडाउन लगने के बाद से प्रत्यक्ष रूप से किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में अपने पहले संबोधन में नायडू ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि नयी शिक्षा नीति में एक राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का प्रस्ताव है जो देश में अनुसंधान कार्यों पर नजर रखेगा. वैश्विक रैंकिंग में भारत के कुछ ही उच्च शिक्षा संस्थानों के आने पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि अनेक विषयों का अध्ययन कराने वाले विश्वविद्यालयों को सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में शामिल होने के लिए प्रयास करना चाहिए.
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