Study in Abroad: पढ़ाई के लिए विदेश जाने की लगी होड़, कोविड के बाद बढे़ आंकड़ें

Study in Abroad: विदेश में पढ़ना और वहीं सेट हो जाना लगभग हर भारतीय का सपना है. कोविड के बाद इस सपने में इजाफा हुआ है. आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में विदेश जाकर पढ़ने वाले छात्रों की तादाद 4 लाख 44 हजार 553 थी, जो साल 2022 में बढ़कर 7 लाख 50 हजार 365 हो गई. 

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Study in Abroad: पढ़ाई के लिए विदेश जाने की लगी होड़
नई दिल्ली:

Study in America: विदेश जाकर पढ़ना और नौकरी करना भारतीयों का ये सपना कोई नहीं नया है. वहीं कोविड के बाद देश से बाहर जाकर पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है. यह ट्रेंड देशभर में दिख रहा है. कोविड के बाद देश में विदेश जाने वाले छात्रों की तादाद 68 प्रतिशत हो गई है. साल 2021 में विदेश जाकर पढ़ने वाले छात्रों की तादाद 4 लाख 44 हजार 553 थी, जो साल 2022 में बढ़कर 7 लाख 50 हजार 365 हो गई. ये आंकड़े छह साल में सबसे ज्यादा हैं. 

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इन दिनों सीबीएसई सहित कई स्टेट बोर्ड की 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं. हैदराबाद गीतांजली सीनियर स्कूल के एक दर्जन छात्र आगे की पढ़ाई के लिए देश से बाहर जाने की तैयारी कर रहे हैं. स्कूल के मुताबिक कोविड-19 के बाद बाहर जाकर पढ़ने की इच्छा रखने वाले छात्रों की तादाद बढ़ गई है. 

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एनडीटीवी ने इस स्कूल के कई छात्रों से बात की जो विदेश जाकर पढ़ाई करना चाहती हैं. एक छात्रा ने कहा कि मैं देश के बाद जाकर पढ़ना चाहती हूं, मैं वहीं रहूंगी. मुझे लगता है कि अमेरिका वह देश है जो मुझे मेरे सपने पूरा करने लायक बनाएगा. वहीं एक छात्रा का कहना है कि विविध्तता है. अलग-अलग जगह पर जाना, वहां के लोगों से मिलना, मैं अलग-अलग पेशेवर लोगों से मिलूंगी और उनसे डबल डिग्री लेनी की कोशिश करूंगी, जो भारत में आसान नहीं है. क्योंकि भारत की टॉप यूनिवर्सिटी में डबल डिग्री नहीं हो सकती.स्कूल की पुष्पज नामक छात्रा ने कहा कि मुझे अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में दाखिला भी मिला और कुछ हद तक स्कॉलशिप भी. लेकिन मैंने तय किया कि मैं पोस्ट ग्रेजुएट करूंगी. 

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भारत में भी कई टॉप की यूनिवर्सिटी और संस्थान हैं. वहीं हाल ही में भारत सरकार ने देश में विदेशी यूनिवर्सिटी को कैंपस स्थापित करने का मौका दिया है. ताकि यहीं रहकर छात्र विदेशी डिग्री पा सके. हालांकि जानकारों का कहना है कि इससे विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या में कोई कमी नहीं हुई है और ना ही होगी. कारण कि विदेश में छात्रों को पढ़ाई के साथ नौकरी और जिंदगी बनाने का बेहतरीन मौका मिलता है. 

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