दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के चल रहे शैक्षणिक सत्र के लिए ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करने के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. डीयू के पांच बाहरी छात्रों की याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने ऑफलाइन कक्षाओं को फिर से शुरू करने पर विश्वविद्यालय का रुख मांगा और डीयू के वकील से निर्देश मांगा कि क्या शेष छात्रों के लिए हाइब्रिड कक्षाएं उपलब्ध होंगी या नहीं.
पांचों छात्रों ने विश्वविद्यालय के नौ फरवरी के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें 17 फरवरी से ऑफलाइन कक्षाएं फिर से शुरू करने का निर्देश दिया गया था. वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए याचिकाकर्ताओं ने 11 फरवरी के एक अन्य आदेश को भी चुनौती दी, जिसमें कहा गया था कि सभी विश्वविद्यालय परीक्षाएं मई में फिजिकल मोड में आयोजित की जाएंगी.
याचिकाकर्ताओं ने जोर देकर कहा है कि सेमेस्टर में केवल 21 दिनों की कक्षा का शिक्षण बचा है, चुनौती के तहत अधिसूचनाएं मनमानी और दिमाग के गैर-उपयोग से ग्रस्त हैं क्योंकि वे यह नोट करने में विफल हैं कि लगभग 65 प्रतिशत छात्र बाहरी हैं. ज्यादातर उम्मीदवारों के पास कॉलेज के छात्रावासों तक पहुंच नहीं है. वकील प्रांजल किशोर के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि "कॉलेजों को फिजिकल मोड से फिर से खोलने का निर्णय अचानक और अप्रत्याशित परिवर्तन था के साथ स्वास्थ्य का अधिकार का उल्लंघन भी है."
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि कि पीजी, हॉस्टल या अपार्टमेंट में COVID-19 उपयुक्त मानदंडों का पालन नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वहां कई छात्र एक कमरे में रहते हैं. ऑफलाइन कक्षाएं फिर से शुरू करने का आदेश क्या यह स्पष्ट करता है कि सुरक्षित वातावरण में ऑफलाइन मोड में कक्षाएं कैसे होंगी. इस मामले की अगली सुनवाई 22 फरवरी को होगी.